Gallbladder Stone Causes Symptoms Treatments in Hindi

पित्ताशय की पथरी (कोलेलिथियसिस): लक्षण, कारण और उपचार (Gallbladder Stone: Symptoms, Causes, and Treatment)

गॉलब्लैडर स्टोन या पित्ताशय की पथरी एक ऐसी आम लेकिन गंभीर समस्या है, जो तब होती है जब पित्त में मौजूद पदार्थ जैसे कोलेस्ट्रॉल और बिलीरुबिन जमा होकर ठोस कण या क्रिस्टल (calculi) बना लेते हैं। ये क्रिस्टल धीरे-धीरे पथरी में बदल जाते हैं, जो पित्ताशय या उसके पित्त नलिकाओं (Bile Ducts) में रुकावट पैदा कर सकते हैं [1]। इस स्थिति के लक्षण हल्के असंतुलन से लेकर गंभीर पीलिया और पित्ताशय के संक्रमण तक हो सकते हैं। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है।

इस ब्लॉग में हम गॉलब्लैडर स्टोन के लक्षण, कारण और विभिन्न चिकित्सा उपचारों के बारे में विस्तार से जानेंगे ताकि इस समस्या को बेहतर ढंग से समझा जा सके।

पित्ताशय और पित्ताशय की पथरी को समझना

पित्ताशय, जिसे अंग्रेज़ी में गॉलब्लैडर कहा जाता है, एक छोटा नाशपाती के आकार का अंग होता है जो यकृत (लीवर) के ठीक नीचे स्थित होता है। इसका मुख्य कार्य यकृत द्वारा बनाए गए पित्त (बाइल) को संग्रहित करना और जरूरत पड़ने पर छोटी आंत में छोड़ना है, जिससे वसा के पाचन में मदद मिलती है।

जब पित्त में मौजूद कोलेस्ट्रॉल, बिलीरुबिन या अन्य पदार्थ सामान्य मात्रा से अधिक जमने लगते हैं, तो ये धीरे-धीरे ठोस कण बन जाते हैं जिन्हें पथरी कहा जाता है। इस स्थिति को चिकित्सकीय रूप से कोलेलिथियसिस (Cholelithiasis) कहा जाता है। पथरी का आकार बहुत छोटा (रेत के कण जितना) से लेकर बड़ा (गोल्फ बॉल जितना) हो सकता है

अक्सर यह पथरी बिना किसी लक्षण के पित्ताशय में पड़ी रहती है और पता नहीं चलती। लेकिन जब यह पथरी पित्त वाहिनी (बाइल डक्ट) को अवरुद्ध कर देती है, तो तेज़ पेट दर्द, पीलिया या पाचन में गड़बड़ी जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। यह अवरोध तीव्र दर्द का कारण बन सकता है, जिसे बिलियरी कोलिक या गॉलब्लैडर अटैक कहते हैं [2]

पित्ताशय की पथरी के लक्षण (Gallstone Symptoms)

पित्ताशय की पथरी अक्सर शुरू में किसी लक्षण के बिना विकसित हो सकती है, जिसे ‘असिम्प्टोमैटिक गॉलब्लेडर स्टोन’ कहते हैं। लेकिन जब यह पित्त नलिका (बाइल डक्ट) में फंस जाती है या रास्ता अवरुद्ध करती है, तो कई असुविधाजनक और कभी-कभी गंभीर लक्षण सामने आ सकते हैं। नीचे दिए गए लक्षण पित्ताशय की पथरी की पहचान में मदद कर सकते हैं:

पेट के ऊपरी हिस्से में अचानक तेज़ दर्द (बिलियरी कोलिक): यह दर्द खासतौर पर पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में होता है और इसे गॉलब्लैडर अटैक भी कहा जाता है। यह दर्द कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों तक रह सकता है और अक्सर भारी या वसायुक्त भोजन के बाद होता है [3]

  • पीठ या दाहिने कंधे में दर्द: दर्द अक्सर पीठ के बीच के हिस्से या दाहिने कंधे के नीचे की ओर फैल सकता है।
  • जी मिचलाना और उल्टी: पेट दर्द के साथ मतली और उल्टी की समस्या आम हो सकती है।
  • पाचन संबंधी समस्याएं: लंबे समय तक गैस, अपच, और पेट फूलना जैसी शिकायतें पित्ताशय की पथरी का संकेत हो सकती हैं।
  • बुखार और ठंड लगना: यदि पथरी के कारण तीव्र पित्ताशय शोथ (Acute Cholecystitis) या संक्रमण हो गया हो, तो बुखार और शरीर में कंपकंपी हो सकती है [2]
  • पीलिया (Jaundice): पथरी अगर सामान्य पित्त नली (Common Bile Duct) को पूरी तरह से ब्लॉक कर दे, तो त्वचा और आंखों का रंग पीला पड़ सकता है। यह बढ़े हुए बिलीरुबिन के कारण होता है।

यदि इन लक्षणों में से कोई भी महसूस हो, खासकर अगर दर्द लगातार बढ़ता जाए या बुखार/पीलिया हो, तो यह एक आपातकालीन स्थिति हो सकती है और तत्काल चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक है।

पित्ताशय की पथरी के कारण और जोखिम कारक (Causes and Risk Factors)

पित्ताशय की पथरी तब बनती है जब पित्त में मौजूद पदार्थों का संतुलन बिगड़ जाता है। यह असंतुलन धीरे-धीरे ठोस क्रिस्टल्स और फिर पथरी का रूप ले लेता है [3]। आइए जानें इसके मुख्य कारण:

  • पित्त में अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल का होना: यदि लीवर सामान्य से अधिक कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन करता है और वह पित्त में घुल नहीं पाता, तो यह धीरे-धीरे छोटे क्रिस्टल्स के रूप में जमने लगता है, जो समय के साथ पथरी में बदल जाता है। पित्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने और पित्त लवण (Bile Salts) की मात्रा कम होने से यह स्थिति उत्पन्न होती है।
  • अत्यधिक बिलीरुबिन का उत्पादन: कुछ स्थितियों में जैसे लिवर सिरोसिस, कुछ संक्रमण, या हेमोलिटिक एनीमिया (रक्त का टूटना) में शरीर अधिक मात्रा में बिलीरुबिन बनाता है। यह अतिरिक्त बिलीरुबिन पित्त में जमकर पथरी बना सकता है।
  • पित्ताशय का सही तरीके से खाली न होना (Biliary Stasis): अगर पित्ताशय हर बार भोजन के बाद पूरी तरह से खाली नहीं होता, तो उसमें बचा हुआ पित्त ठोस कणों में बदल सकता है, जिससे पत्थर बनने की संभावना बढ़ जाती है।
  • तेज़ी से वजन कम होना: क्रैश डाइटिंग या बैरिएट्रिक सर्जरी के कारण तेज़ी से वजन कम होना भी पित्ताशय की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है और स्टोन बनने का कारण बन सकता है [4]
  • आयु और लिंग: 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में पित्ताशय की पथरी विकसित होने की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक होती है।
  • अनुवांशिकता और हार्मोनल बदलाव: परिवार का इतिहास एक जोखिम कारक है। गर्भावस्था, मीनोपॉज़ या हार्मोनल थेरेपी के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर में परिवर्तन कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ा सकते हैं और पथरी बनने का खतरा बढ़ता है।

पित्ताशय की पथरी के प्रकार (Gallbladder Stone Types)

पित्ताशय की पथरी यानी गॉलब्लैडर स्टोन उनके निर्माण में शामिल तत्वों के आधार पर अलग-अलग प्रकार की हो सकती हैं। चिकित्सा दृष्टिकोण से इन्हें तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा जाता है:

कोलेस्ट्रॉल पथरी (Cholesterol Stones):

यह सबसे आम प्रकार (लगभग 80%) की पथरी होती है, जो विशेष रूप से तब बनती है जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो जाती है और वह घुल नहीं पाता [3]

रंग: हल्का पीला, सफेद या हरा।

पिगमेंट पथरी (Pigment Stones):

पिगमेंट स्टोन बिलीरुबिन के अत्यधिक जमाव के कारण बनती है। यह आमतौर पर लिवर की गंभीर बीमारियों (जैसे सिरोसिस) या रक्त संबंधी विकारों से जुड़ी होती है।

रंग: काले या गहरे भूरे।

दो उप-प्रकार: काले पिगमेंट स्टोन (अघुलनशील बिलीरुबिन के कारण) और भूरे पिगमेंट स्टोन (संक्रमण के कारण) [1]

मिश्रित पथरी (Mixed Gallstones):

यह पथरी कोलेस्ट्रॉल और पिगमेंट दोनों के संयोजन से बनती है और इनमें कैल्शियम और अन्य पदार्थ भी शामिल हो सकते हैं।

विशेषता: आकार और बनावट में असमानता।

पित्ताशय की पथरी के उपचार विकल्प (Gallbladder Stone Treatment Options)

पित्ताशय की पथरी के इलाज के कई विकल्प मौजूद हैं जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि पथरी का प्रकार और आकार क्या है और उसके लक्षण कितने गंभीर हैं।

  • दवाओं से उपचार (Oral Dissolution Therapy):
  • अगर पथरी का आकार छोटा है और कोलेस्ट्रॉल से बनी है, तो दवाओं की मदद से इसे घोला जा सकता है।
  • उर्सोडिओल (Ursodiol) या उर्सोडियॉक्सीकोलिक एसिड (UDCA) नामक दवा कोलेस्ट्रॉल से बनी पथरी को धीरे-धीरे घोल सकती है [5]
  • यह उपचार धीमा होता है और इसमें 6 महीने से 2 साल तक लग सकते हैं। सफल होने की दर सीमित है और पथरी दोबारा बनने की संभावना अधिक रहती है।

लैप्रोस्कोपिक चोलेसिस्टेक्टॉमी (Laparoscopic Cholecystectomy):

गंभीर लक्षणों वाली पित्ताशय की पथरी के लिए यह सबसे आम और पसंदीदा सर्जिकल तरीका है, जिसमें पूरे गॉलब्लैडर को हटा दिया जाता है।

  • पेट में छोटे-छोटे छेद करके कैमरे की मदद से सर्जरी की जाती है।
  • मरीज को कुछ ही दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है और रिकवरी बहुत तेज़ी से होती है।
  • ओपन चोलेसिस्टेक्टॉमी (Open Gallbladder Surgery):
  • जब पथरी बहुत बड़ी हो या गॉलब्लैडर में गंभीर सूजन, संक्रमण (Perforation), या जटिलताएं हों, तब यह तरीका अपनाया जाता है।
  • पेट में बड़ा चीरा लगाकर गॉलब्लैडर को हटाया जाता है।
  • इसमें लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की तुलना में रिकवरी में अधिक समय लगता है।

ईआरसीपी (ERCP – Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography):

  • जब पथरी केवल सामान्य पित्त नली (Common Bile Duct) में फंसी होती है, तो यह प्रक्रिया अपनाई जाती है।
  • एक पतली एंडोस्कोप ट्यूब मुंह से पेट और छोटी आंतों तक पहुंचाई जाती है। इसके माध्यम से पथरी को बाइल डक्ट से निकाला जाता है।
  • यह प्रक्रिया गॉलब्लैडर को नहीं हटाती, इसलिए अक्सर गॉलब्लैडर को हटाने के लिए इसके बाद लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाती है।

नोट: पथरी के लक्षण पैदा करने पर (Symptomatic Gallstones), डॉक्टर अक्सर गॉलब्लैडर को ही हटाने की सलाह देते हैं क्योंकि पथरी के दोबारा बनने और जटिलताएँ पैदा करने की संभावना बहुत अधिक होती है।

पित्ताशय की पथरी के रोगियों के लिए आहार और जीवनशैली में परिवर्तन (Diet and Lifestyle Changes)

अगर आप पित्ताशय की पथरी से पीड़ित हैं या इससे बचाव करना चाहते हैं, तो कुछ सरल उपाय और दैनिक जीवन में बदलाव आपको राहत देने में मदद कर सकते हैं। ये उपाय पथरी के बनने की संभावना को कम करते हैं और पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखते हैं।

  • संतुलित और पौष्टिक आहार अपनाएं:
  • फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज [6] शामिल करें।
  • वसा और कोलेस्ट्रॉल में उच्च खाद्य पदार्थों जैसे रेड मीट, घी, बटर, और फ्राइड फूड से परहेज करें।
  • वजन को नियंत्रित और स्थिर रखें:
  • मोटापा पित्ताशय की पथरी का बड़ा कारण हो सकता है।

विशेषज्ञों की सलाह है कि अचानक वजन घटाने की कोशिश न करें, क्योंकि यह पित्त में कोलेस्ट्रॉल सांद्रता को बढ़ाकर पथरी के जोखिम को बढ़ा सकता है।

वसा (Fat) का सेवन सीमित करें:

  • तले हुए और अत्यधिक चिकनाई वाले खाद्य पदार्थ से बचें।
  • खासकर संतृप्त वसा (Saturated Fat) और ट्रांस फैट से परहेज करें।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं:
  • रोजाना 8-10 गिलास पानी पीने की आदत डालें।
  • यह पाचन को बेहतर बनाता है और पित्त के प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है।
  • नियमित शारीरिक गतिविधि करें:
  • दिन में कम से कम 30 मिनट मध्यम व्यायाम करें।
  • यह पाचन तंत्र को सक्रिय बनाए रखता है और वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • छोटे-छोटे और नियमित अंतराल पर भोजन करें (Small, Frequent Meals):
  • लंबे समय तक भूखा न रहें।
  • दिन में 3 भारी भोजन के बजाय 4–5 बार छोटे-छोटे हिस्सों में भोजन लें जिससे पित्ताशय पर दबाव न पड़े।

पथरी निकालने के बाद कौन-सी बातों का ध्यान देना चाहिए (Post-Cholecystectomy Care)

पित्त की पथरी निकालने के बाद (Cholecystectomy के बाद), शरीर को सामान्य स्थिति में लौटने के लिए समय और सही देखभाल की ज़रूरत होती है। इस सर्जरी के बाद आहार और पाचन क्रिया में कुछ बदलाव आ सकते हैं:

  • हल्का और सुपाच्य भोजन करें:
  • शुरुआत में तरल और बहुत कम वसा वाला भोजन लें।
  • पित्ताशय हटा दिए जाने के बाद, पित्त सीधे लीवर से छोटी आंत में जाता है, जिससे कभी-कभी दस्त (Diarrhea) की समस्या हो सकती है। इसलिए वसा का सेवन धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए।
  • शारीरिक गतिविधियाँ धीरे-धीरे बढ़ाएं:
  • सर्जरी के कुछ दिनों बाद हल्की चहलकदमी करें।
  • भारी वजन उठाने या थकाने वाले व्यायाम करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें।
  • दवा और डॉक्टर की सलाह का पालन करें:
  • सभी दवाएं नियमित रूप से लें।

निर्धारित फॉलो-अप विज़िट न छोड़ें। यदि दर्द, सूजन या बुखार बढ़े तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? (When to Consult a Doctor)

यदि आप पित्ताशय की पथरी से संबंधित निम्नलिखित गंभीर या बिगड़ते लक्षण महसूस करें, तो तुरंत गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट या सर्जन से संपर्क करें:

  • पेट के ऊपरी हिस्से में लगातार (6 घंटे से अधिक) या तीव्र दर्द जो समय के साथ बढ़ता जा रहा हो।
  • पीलिया के लक्षण जैसे आँखों या त्वचा का पीला पड़ना।
  • तेज़ बुखार ($\\ge$ 100.4°F या 38°C) और ठंड लगना, जो संक्रमण या सेप्सिस का संकेत हो सकता है।
  • लगातार मतली या उल्टी जो खाने-पीने में बाधा डाल रही हो।
  • नोट: इन लक्षणों को अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है क्योंकि ये पित्ताशय में संक्रमण (Cholecystitis), पित्त नली में रुकावट (Cholangitis), या अग्नाशयशोथ (Pancreatitis) जैसी गंभीर जटिलताओं की ओर इशारा कर सकते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

पित्ताशय की पथरी एक आम लेकिन समय पर नैदानिक हस्तक्षेप न दिए जाने पर गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन सकती है। इसके लक्षणों को प्रारंभिक अवस्था में पहचानना और उपयुक्त उपचार कराना आवश्यक है ताकि जटिलताओं से बचा जा सके।

स्वस्थ जीवनशैली—जैसे कि संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त पानी पीना और उच्च वसा युक्त भोजन से परहेज—गॉलब्लैडर की सेहत को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। यदि आपको कोई लक्षण महसूस हो, तो देर न करें और तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लें।

याद रखें, केवल एक योग्य चिकित्सक ही आपकी स्थिति का सटीक निदान और सही उपचार की सलाह दे सकता है।

विशेषज्ञ की सलाह (Expert Advice)

“पित्ताशय की पथरी एक आम लेकिन गंभीर समस्या मानी जाती है। इसका समय पर सही पता लगाना और उपचार आवश्यक होता है ताकि इसे प्रभावी रूप से संभाला जा सके। संतुलित भोजन, नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर पथरी की दोबारा होने की संभावना कम की जा सकती है। कोलेसिस्टेक्टॉमी के बाद भी, जीवनशैली और आहार पर ध्यान देना ज़रूरी है ताकि पाचन संबंधी समस्याएं न हों।”

-Dr. Sachin Singh

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

गॉलब्लैडर में स्टोन होने से क्या होता है?

गॉलब्लैडर में पथरी होने से पेट में तेज दर्द, उल्टी, पीलिया, और संक्रमण जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अक्सर, बिना लक्षण वाली पथरी को उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।

गाल ब्लैडर स्टोन में क्या नहीं खाना चाहिए?

अधिक वसा (विशेष रूप से संतृप्त वसा), तली-भुनी चीजें, जंक फूड और अत्यधिक प्रोसेस्ड भोजन नहीं खाना चाहिए।

बिना ऑपरेशन के गॉलब्लैडर से पथरी कैसे निकाले?

केवल कोलेस्ट्रॉल से बनी छोटी पथरी को उर्सोडिओल (UDCA) जैसी दवाओं से घोला जा सकता है, लेकिन यह सभी के लिए प्रभावी नहीं है और इसमें लंबा समय लगता है।

गॉलब्लैडर स्टोन का ऑपरेशन कब करना चाहिए?

जब पथरी के कारण बार-बार या गंभीर लक्षण (जैसे: तीव्र दर्द, संक्रमण, या अग्नाशयशोथ) उत्पन्न हो रहे हों तभी सर्जरी की सलाह दी जाती है।

पित्ताशय की पथरी निकालने की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

उर्सोडियॉक्सीकोलिक एसिड (UDCA) जैसी दवाएं कोलेस्ट्रॉल पथरी को घोलने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं और इसको एक अच्छी दवा माना जाता है (सफलता की दर सीमित है), लेकिन कोई भी दवाई बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए।

अस्वीकरण (Disclaimer)

यह ब्लॉग पोस्ट केवल सूचनात्मक और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे किसी भी चिकित्सा सलाह, निदान, या उपचार के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। हमेशा किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए योग्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाता (गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट) से परामर्श लें। अपनी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में किसी भी प्रश्न के लिए कभी भी अपने चिकित्सक की पेशेवर सलाह को अनदेखा न करें या सलाह लेने में देरी न करें।

References

[1] जोन्स, एम. डब्ल्यू., और घासेमज़ादेह, एस. (2024). पित्ताशय की पथरी (कैल्कुली). स्टेटपर्ल्स पब्लिशिंग. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK459370/

[2] राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी सूचना केंद्र। (2017)। पित्ताशय की पथरी: अवलोकन। स्वास्थ्य सेवा में गुणवत्ता एवं दक्षता संस्थान (IQWiG). https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK424895/

[3] राष्ट्रीय मधुमेह, पाचन एवं गुर्दा रोग संस्थान। (2017, नवंबर)। पित्ताशय की पथरी के लिए भोजन, आहार और पोषण। राष्ट्रीय मधुमेह, पाचन एवं गुर्दा रोग संस्थान (NIDDK). https://www.niddk.nih.gov/health-information/digestive-diseases/gallstones/eating-diet-nutrition

[4] वैन डेन बोश, जे., और वैन डेन बोगाएर्ड, ए. (2020)। पित्ताशय की पथरी: वजन घटने के बाद जोखिम और रोकथाम. यकृत रोग पर सेमिनार, 40(3), 209-216. https://doi.org/10.1055/a-1205-0812

[5] लैमर्ट, एफ., और विटेनबर्ग, एच. (2024)। पित्ताशय की पथरी: रोकथाम, निदान और उपचार। यकृत रोग पर सेमिनार. https://doi.org/10.1055/a-2378-9025

[6] स्टिलमैन, एम. एम., एट अल. (2022). आहार फाइबर का सेवन और पित्ताशय की पथरी का जोखिम: एक व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-विश्लेषण. क्लिनिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी जर्नल, 20(5), 1083-1090. https://doi.org/10.1016/j.cgh.2021.05.045


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