Thyroid Causes Symptoms and Treatment in Hindi

थायरॉइड की समस्या: कारण, लक्षण और इलाज

आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली और बढ़ते तनाव के कारण थायरॉइड विकार एक आम लेकिन महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। यह विकार लाखों लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन कई लोग इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानने में असमर्थ रहते हैं और अनजाने में इसे अनदेखा कर देते हैं। इस लेख में हम थायरॉइड की पूरी जानकारी देंगे — इसका मतलब क्या है, इसके लक्षण और कारण क्या हैं, साथ ही इसे कैसे चिकित्सकीय रूप से नियंत्रित या इलाज किया जा सकता है, और कुछ पूरक (Complementary) उपाय भी जानेंगे।

थायरॉइड क्या है? (What is the Thyroid Gland?)

थायरॉइड एक छोटी, तितली के आकार की ग्रंथि होती है जो गले के सामने हिस्से, यानी श्वासनली (Trachea) के ठीक नीचे स्थित होती है। यह एंडोक्राइन सिस्टम का हिस्सा है और मुख्य रूप से दो महत्वपूर्ण थायरॉइड हार्मोन (ट्रायोडोथायरोनिन या T3 और थायरोक्सिन या T4) का निर्माण करती है।

ये हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा उत्पादन, शरीर के तापमान नियंत्रण और हृदय गति सहित कई महत्वपूर्ण शारीरिक क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं [2], [5]। जब यह ग्रंथि सामान्य से अधिक (हाइपरथायरॉइडिज्म) या कम (हाइपोथायरॉइडिज्म) हार्मोन बनाने लगती है, तो शरीर में हार्मोनल असंतुलन उत्पन्न होता है जिससे थकान, वजन बढ़ना या घटना, मूड स्विंग्स और कई अन्य शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं।

थायरॉइड के प्रकार (Types of Thyroid Disorders)

थायरॉइड से जुड़ी समस्याएं मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं — हाइपोथायरॉइडिज्म और हाइपरथायरॉइडिज्म, जो थायरॉइड हार्मोन के असंतुलन के कारण उत्पन्न होती हैं।

1. हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) – कम सक्रिय थायरॉइड

इस स्थिति में थायरॉइड ग्रंथि शरीर की जरूरत से कम हार्मोन (T3 और T4) बनाती है, जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। हाशिमोटो का थायरॉइडाइटिस इसका सबसे आम कारण है [2]। यह रोग पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है [5]

प्रमुख लक्षण:

  • लगातार थकान महसूस होना और सुस्ती।
  • ठंड सहन न होना (ठंड के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता)।
  • चेहरे और पलकों में सूजन (माएक्सेडेमा)।
  • बालों का अत्यधिक झड़ना और रूखी, मोटी त्वचा।
  • अवसाद (डिप्रेशन) और एकाग्रता में कमी।
  • वजन का अनचाहा बढ़ना।
  • कब्ज (Constipation)।

2. हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism) – अति सक्रिय थायरॉइड

इस स्थिति में थायरॉइड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा हार्मोन (T3 और T4) का उत्पादन करती है, जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म अत्यधिक तेज हो जाता है। ग्रेव्स रोग (Graves’ Disease) इसका सबसे आम कारण है [6]

प्रमुख लक्षण:

  • हृदय गति का तेज़ होना या धड़कनों में अनियमितता (Palpitations)।
  • घबराहट, चिड़चिड़ापन, और बेचैनी।
  • पसीना आना और गर्मी का असहनीय लगना।
  • भूख बढ़ने के बावजूद वजन में तेजी से कमी।
  • नींद में कठिनाई (अनिद्रा)।
  • मांसपेशियों की कमजोरी और कंपन (Tremors)।
  • आंखों का उभर आना (Graves’ Ophthalmopathy) (ग्रेव्स रोग में)।

थायरॉइड रोग के सामान्य लक्षण (General Thyroid Symptoms)

थायरॉइड से जुड़ी समस्याओं के लक्षण व्यक्ति की आयु, स्वास्थ्य स्थिति और विकार के प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।

  • वजन में अचानक बदलाव:
    • हाइपोथायरॉइडिज्म में मेटाबॉलिज्म धीमा होने के कारण वजन तेजी से बढ़ सकता है।
    • हाइपरथायरॉइडिज्म में तेज मेटाबॉलिज्म के कारण वजन बिना प्रयास के कम होने लगता है।
  • बालों और त्वचा में बदलाव:
    • असामान्य रूप से बालों का झड़ना (Hypo- & Hyperthyroidism दोनों में)।
    • रूखी और बेजान त्वचा (Hypothyroidism)।
    • त्वचा का पतला होना (Hyperthyroidism)।
  • थकान और ऊर्जा की कमी:
    • दिनभर थकान महसूस होना, बिना मेहनत के कमजोरी आना, या नींद के बाद भी तरोताज़ा महसूस न करना हाइपोथायरॉइडिज्म का एक प्रमुख संकेत है।
  • मूड और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:
    • हाइपोथायरॉइडिज्म के कारण व्यक्ति उदासी, अवसाद (Depression) और एकाग्रता की समस्या का अनुभव कर सकता है।
    • हाइपरथायरॉइडिज्म में घबराहट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन और चिंता जैसी स्थितियाँ सामान्य हैं।

पुरुषों और महिलाओं में थायरॉइड के विशिष्ट लक्षण

महिलाओं में थायरॉइड के लक्षण (Thyroid Symptoms in Female)

महिलाओं में थायरॉइड विकार पुरुषों की तुलना में लगभग 5 से 8 गुना अधिक सामान्य होते हैं [5]

  • मासिक धर्म में अनियमितता: थायरॉइड हार्मोन का असंतुलन मासिक धर्म के समय को अनियमित कर सकता है, उसे हल्का या बहुत भारी बना सकता है।
  • प्रजनन समस्याएं: थायरॉइड की गंभीर समस्या से ओव्यूलेशन (Ovulation) प्रभावित हो सकता है, जिससे गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है।
  • गर्भावस्था में जटिलताएं: गर्भावस्था के दौरान अनियंत्रित थायरॉइड समस्या से गर्भपात का खतरा, समय से पहले जन्म (Preterm Birth) और भ्रूण के मस्तिष्क विकास में समस्या हो सकती है [5]

पुरुषों में थायरॉइड के लक्षण (Thyroid Symptoms in Male)

पुरुषों में अक्सर इन लक्षणों को नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन वे महत्वपूर्ण होते हैं।

  • मांसपेशियों की कमजोरी: हाइपोथायरॉइडिज्म के कारण मांसपेशियों की ताकत और सहनशक्ति में गिरावट आ सकती है, जिसे मायोपैथी (Myopathy) कहा जाता है।
  • यौन और प्रजनन समस्याएं: थायरॉइड असंतुलन से टेस्टोस्टेरोन का स्तर प्रभावित हो सकता है, जिससे यौन इच्छा में कमी (Low Libido), इरेक्टाइल डिसफंक्शन और प्रजनन क्षमता में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य में बदलाव: अवसाद, याददाश्त में कमी, चिड़चिड़ापन और सुस्ती जैसे मानसिक लक्षण भी पुरुषों में थायरॉइड की समस्या का संकेत हो सकते हैं।

थायरॉइड के कारण (Causes of Thyroid Disorders)

थायरॉइड की समस्या एक जटिल स्थिति है और इसके उत्पन्न होने के पीछे कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं [5]

  • ऑटोइम्यून प्रतिक्रियाएं: यह थायरॉइड विकारों का सबसे आम कारण है [2]
  • हाशिमोटो थायरॉइडाइटिस: इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से थायरॉइड ग्रंथि पर हमला करती है, जिससे हाइपोथायरॉइडिज्म होता है।
  • ग्रेव्स डिजीज: इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली थायरॉइड ग्रंथि को अधिक हार्मोन बनाने के लिए उत्तेजित करती है, जिससे हाइपरथायरॉइडिज्म होता है।
  • आयोडीन की अपर्याप्तता या अधिकता: आयोडीन एक आवश्यक खनिज है जो थायरॉइड हार्मोन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयोडीन की गंभीर कमी से हाइपोथायरॉइडिज्म हो सकता है।
  • वंशानुगत प्रभाव: यदि परिवार में किसी सदस्य को थायरॉइड की बीमारी है, तो अगली पीढ़ी में इसके विकसित होने की संभावना अधिक रहती है।
  • हार्मोनल परिवर्तन: खासतौर पर महिलाओं में गर्भावस्था या मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) से जुड़े हार्मोनल उतार-चढ़ाव थायरॉइड की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं।
  • थायरॉइड ग्रंथि की सूजन (थायरॉइडाइटिस): अक्सर एक वायरल संक्रमण के बाद ग्रंथि में सूजन आ जाती है, जिससे हार्मोन का रिसाव होता है।
  • दवाएँ: कुछ दवाएँ (जैसे एमियोडेरोन या लिथियम) थायरॉइड के कार्य को प्रभावित कर सकती हैं।

थायरॉइड का चिकित्सकीय इलाज (Medical Treatment for Thyroid)

थायरॉइड की समस्या का इलाज उसकी प्रकृति, गंभीरता और रोगी की समग्र स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। सही निदान और नियमित चिकित्सा निगरानी से इस स्थिति को सफलतापूर्वक प्रबंधित किया जा सकता है।

1. औषधीय उपचार (Medications)

  • हाइपोथायरायडिज्म के लिए: डॉक्टर आमतौर पर लेवोथायरोक्सिन (Levothyroxine) जैसी सिंथेटिक थायरॉइड हार्मोन दवा देते हैं। यह दवा T4 हार्मोन का सिंथेटिक रूप है, जिसे रोजाना लेने से शरीर में हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है [2]। यह आजीवन चलने वाला उपचार हो सकता है।
  • हाइपरथायरायडिज्म के लिए: डॉक्टर एंटी-थायरॉइड दवाएँ (जैसे मेथिमाज़ोल या प्रोपीलथायोयूरेसिल) देते हैं, जो थायरॉइड ग्रंथि को हार्मोन बनाने से रोकती हैं। इन दवाओं के कुछ संभावित दुष्प्रभाव (जैसे लिवर या सफेद रक्त कोशिकाओं पर प्रभाव) हो सकते हैं, जिसके लिए नियमित रक्त परीक्षण आवश्यक है।

2. रेडियोधर्मी आयोडीन थेरेपी (Radioactive Iodine Therapy – RAI)

हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति में, थायरॉइड ग्रंथि की अत्यधिक सक्रियता को नियंत्रित करने के लिए रेडियोधर्मी आयोडीन-131 (I-131) का प्रयोग किया जाता है। यह ग्रंथि की अति सक्रिय कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। इस उपचार के बाद अक्सर रोगी को जीवन भर के लिए हाइपोथायरॉइडिज्म हो जाता है, जिसका इलाज लेवोथायरोक्सिन से किया जाता है।

3. शल्य चिकित्सा (Surgery – Thyroidectomy)

जब दवाएं और रेडियोथेरेपी से लाभ नहीं मिलता, या थायरॉइड में बड़ी गांठें (Nodules), गोइटर, या थायरॉइड कैंसर जैसी जटिलताएं होती हैं, तो थायरॉइड ग्रंथि को आंशिक या पूर्ण रूप से हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। सर्जरी के जोखिम में स्वर रज्जु (Vocal Cords) की क्षति और पैराथायरॉइड ग्रंथियों का क्षतिग्रस्त होना शामिल है, जिससे कैल्शियम का स्तर प्रभावित हो सकता है।

4. जीवनशैली में परिवर्तन (Lifestyle Modifications)

संतुलित आहार, नियमित और मध्यम व्यायाम, तनाव प्रबंधन और पर्याप्त नींद जैसी अच्छी आदतें चिकित्सा उपचार के पूरक के रूप में थायरॉइड की स्थिति को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती हैं।

थायरॉइड के लिए पूरक घरेलू उपचार (Home Remedies for Thyroid)

थायरॉइड ग्रंथि के कार्य को संतुलित रखने और लक्षणों को प्रबंधित करने में कुछ प्राकृतिक उपाय मददगार हो सकते हैं, लेकिन इन्हें कभी भी डॉक्टर द्वारा निर्देशित दवा का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। इन्हें डॉक्टर या पंजीकृत आहार विशेषज्ञ (Registered Dietitian) की सलाह के साथ ही अपनाना चाहिए।

  • आयोडीन और सेलेनियम युक्त खाद्य पदार्थ: थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन के लिए आयोडीन (जैसे आयोडीन युक्त नमक, मछली, समुद्री शैवाल) और सेलेनियम (जैसे ब्राजील नट्स) महत्वपूर्ण हैं [5]। हाइपोथायरॉइडिज्म में सेलेनियम की कमी को दूर करने से लाभ हो सकता है।
  • अदरक का सेवन: अदरक में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व थायरॉइड ग्रंथि में सूजन (यदि थायरॉइडाइटिस हो) को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
  • विटामिन डी की जांच: कई थायरॉइड रोगियों में विटामिन डी की कमी देखी जाती है [5]। इसकी कमी को दूर करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर सप्लीमेंट्स लेना फायदेमंद हो सकता है।
  • प्रोसेस्ड फूड से बचें: अत्यधिक शर्करा (Sugar) और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (Processed Foods) सूजन को बढ़ा सकते हैं, जिससे थायरॉइड प्रबंधन कठिन हो सकता है।

Expert Quote

“थायरॉइड हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म को संतुलित रखता है, और इसका असंतुलन न केवल शारीरिक (वजन, ऊर्जा) बल्कि मानसिक स्वास्थ्य (मूड, अवसाद) पर भी गहरा असर डालता है। थायरॉइड रोग अक्सर आजीवन चलने वाली स्थिति होती है, लेकिन यह पूरी तरह से प्रबंधनीय (Manageable) है। समय पर सही पहचान, लेवोथायरोक्सिन की सही और नियमित खुराक, पोषणयुक्त आहार, और तनाव प्रबंधन के साथ डॉक्टर की सलाह का पालन करना इस स्थिति से बचाव और नियंत्रण का सबसे प्रभावशाली तरीका माना जाता है।”

Dr. Anindya Debnath

निष्कर्ष (Conclusion)

थायरॉइड एक सामान्य लेकिन गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसे समय पर पहचाना और नियंत्रित किया जाना अत्यंत आवश्यक है। इसके लक्षणों की जानकारी रखना, नियमित रूप से TSH जांच (Thyroid Stimulating Hormone Test) कराना, और डॉक्टर की सलाह के अनुसार उपचार लेना इस रोग को जटिल होने से रोकने में मदद करता है। थायरॉइड के अधिकांश मामले (हाइपोथायरॉइडिज्म) दैनिक दवा से सफलतापूर्वक नियंत्रित किए जा सकते हैं। संतुलित आहार, तनाव मुक्त जीवनशैली और नियमित व्यायाम के माध्यम से थायरॉइड की स्थिति को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहकर और चिकित्सा मार्गदर्शन का पालन करके इस रोग को लंबे समय तक प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

थायरॉइड के लक्षणों की पहचान कैसे करें?

थायरॉइड के सामान्य लक्षणों में अकारण वजन में बदलाव, लगातार थकान, त्वचा और बालों में रूखापन, मूड में असामान्य परिवर्तन और मांसपेशियों में कमजोरी शामिल हैं। ये लक्षण कई अन्य बीमारियों के भी हो सकते हैं, इसलिए ब्लड टेस्ट (TSH) से पुष्टि ज़रूरी है।

थायरॉइड होने पर शरीर में क्या-क्या परेशानी होती है?

थायरॉइड की समस्या से थकान, मांसपेशियों में कमजोरी, मेटाबॉलिज्म की गड़बड़ी, वजन बढ़ना या घटना, पीरियड्स की अनियमितता और हार्मोनल असंतुलन जैसी परेशानियां हो सकती हैं।

क्या घर पर थायरॉइड की जांच की जा सकती है?

नहीं। थायरॉइड की सही और सटीक जांच के लिए डॉक्टर से ब्लड टेस्ट करवाना आवश्यक है, जिसमें TSH (थायरॉइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन) का स्तर मापा जाता है।

क्या चावल खाने से थायरॉइड बढ़ता है?

चावल का थायरॉइड पर कोई सीधा नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है। थायरॉइड के नियंत्रण के लिए संतुलित, कम प्रसंस्कृत आहार का सेवन और आयोडीन की पर्याप्त मात्रा ज़रूरी है।

थायरॉइड बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ कौन से हैं?

गोइट्रोजेन (Goitrogens) नामक यौगिक युक्त खाद्य पदार्थ (जैसे कच्ची पत्तागोभी, ब्रोकोली, फूलगोभी) थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन में हस्तक्षेप कर सकते हैं, खासकर आयोडीन की कमी वाले लोगों में। हालांकि, पकाए जाने पर इनका प्रभाव कम हो जाता है। प्रोसेस्ड फूड, अत्यधिक शर्करा और वसायुक्त भोजन भी थायरॉइड हार्मोन के संतुलन को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

थायरॉइड का इलाज कितना समय लेता है?

हाइपोथायरॉइडिज्म का इलाज आमतौर पर आजीवन चलता है, क्योंकि लेवोथायरोक्सिन दवा थायरॉइड ग्रंथि के कार्य को प्रतिस्थापित करती है। सही दवा और जीवनशैली से कुछ महीनों में लक्षणों में सुधार आ सकता है, लेकिन हार्मोनल संतुलन बनाए रखने के लिए नियमित देखभाल ज़रूरी है।

थायरॉइड का सामान्य TSH स्तर क्या होता है?

अधिकांश वयस्कों के लिए TSH का सामान्य स्तर लगभग 0.4 से 4.0 mIU/L के बीच होता है [1]। यह स्तर व्यक्ति की उम्र, गर्भावस्था की स्थिति और उपचार के लक्ष्य पर निर्भर कर सकता है, इसलिए डॉक्टर से सही स्तर की जानकारी लेना और अपने व्यक्तिगत लक्ष्य को समझना बेहतर है।

थायरॉइड समस्या किस कमी से होती है?

भारत के कुछ क्षेत्रों में आयोडीन की कमी थायरॉइड की समस्या (हाइपोथायरॉइडिज्म) का एक मुख्य कारण है, लेकिन दुनिया भर में सबसे आम कारण ऑटोइम्यून बीमारियां (हाशिमोटो या ग्रेव्स रोग) हैं।

References

[1] एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट। (2024, 12 दिसंबर)। टीएसएच (थायरॉइड) परीक्षण: टी3, टी4 और टीएसएच की सामान्य सीमाएँ। एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट। https://asianheartinstitute.org/blog/tsh-thyroid-test-normal-ranges-for-t3-t4-tsh/

[2] राष्ट्रीय मधुमेह, पाचन और गुर्दा रोग संस्थान (NIDDK)। (2025, 12 अगस्त)। हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायरॉइड)। NIDDK। https://www.niddk.nih.gov/health-information/endocrine-diseases/hypothyroidism

[3] राष्ट्रीय नेत्र संस्थान (NEI)। (n.d.)। अमेरिकन थायरॉइड एसोसिएशन। Nih.Gov; राष्ट्रीय नेत्र संस्थान। https://www.nei.nih.gov/learn-about-eye-health/eye-conditions-and-diseases/eye-health-organizations-database/american-thyroid-association

[4] अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन (ATA)। (2015, 9 सितंबर)। हाइपोथायरायडिज्म। https://www.thyroid.org/hypothyroidism/

[5] वेबएमडी (WebMD)। (2024, 25 मार्च)। थायरॉइड की समस्या और इसका आपके शरीर पर प्रभाव। https://www.webmd.com/a-to-z-guides/understanding-thyroid-problems-basics

[6] मेडलाइनप्लस (MedlinePlus)। (2023, 22 जून)। हाइपरथायरायडिज्म। https://medlineplus.gov/hyperthyroidism.html


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