Gallbladder Stone Causes Symptoms Treatments in Hindi

पित्ताशय की पथरी (कोलेलिथियसिस): लक्षण, कारण और घरेलू उपचार (Gallbladder Stones in Hindi)

गॉलब्लैडर स्टोन या पित्ताशय की पथरी एक ऐसी आम लेकिन गंभीर समस्या है, जो तब होती है जब पित्त में मौजूद पदार्थ जैसे कोलेस्ट्रॉल और बिलीरुबिन जमा होकर ठोस क्रिस्टल बना लेते हैं। ये क्रिस्टल धीरे-धीरे पथरी में बदल जाते हैं, जो पित्ताशय या उसके नालियों में रुकावट पैदा कर सकते हैं। इस स्थिति के लक्षण हल्के पेट दर्द से लेकर गंभीर पीलिया और पाचन विकारों तक हो सकते हैं। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है। इस ब्लॉग में हम गॉलब्लैडर स्टोन के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में विस्तार से जानेंगे ताकि इस समस्या को बेहतर ढंग से समझा जा सके।

पित्ताशय की पथरी

पित्ताशय, जिसे अंग्रेज़ी में गॉलब्लैडर कहा जाता है, एक छोटा नाशपाती के आकार का अंग होता है जो यकृत (लीवर) के ठीक नीचे स्थित होता है। इसका मुख्य कार्य यकृत द्वारा बनाए गए पित्त (बाइल) को संग्रहित करना और जरूरत पड़ने पर छोटी आंत में छोड़ना है, जिससे वसा के पाचन में मदद मिलती है।

जब पित्त में मौजूद कोलेस्ट्रॉल, बिलीरुबिन या अन्य पदार्थ सामान्य मात्रा से अधिक जमने लगते हैं, तो ये धीरे-धीरे ठोस कण बन जाते हैं जिन्हें पथरी कहा जाता है। इस स्थिति को चिकित्सकीय रूप से कोलेलिथियसिस (Cholelithiasis) कहा जाता है। पथरी का आकार बहुत छोटा (रेत के कण जितना) से लेकर बड़ा (गोल्फ बॉल जितना) हो सकता है।

अक्सर यह पथरी बिना किसी लक्षण के पित्ताशय में पड़ी रहती है और पता नहीं चलती। लेकिन जब यह पथरी पित्त वाहिनी (बाइल डक्ट) को अवरुद्ध कर देती है, तो तेज़ पेट दर्द, पीलिया या पाचन में गड़बड़ी जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

पित्ताशय की पथरी के लक्षण (Symptoms of Gallbladder Stones)

पित्ताशय की पथरी अक्सर शुरू में किसी लक्षण के बिना विकसित हो सकती है, लेकिन जब यह पित्त नलिका (बाइल डक्ट) में फंस जाती है या रास्ता अवरुद्ध करती है, तो कई असुविधाजनक और कभी-कभी गंभीर लक्षण सामने आ सकते हैं। नीचे दिए गए लक्षण पित्ताशय की पथरी की पहचान में मदद कर सकते हैं:

  • पेट के ऊपरी हिस्से में अचानक तेज़ दर्द: यह दर्द खासतौर पर दाईं ओर होता है और इसे गॉलब्लैडर अटैक भी कहा जाता है। यह दर्द कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों तक रह सकता है।
  • पीठ या दाहिने कंधे में दर्द: दर्द अक्सर पीठ के बीच के हिस्से या दाहिने कंधे के नीचे की ओर फैल सकता है।
  • जी मिचलाना और उल्टी: पेट दर्द के साथ मतली और उल्टी की समस्या आम हो सकती है।
  • पाचन संबंधी समस्याएं: गैस, अपच, और पेट फूलना जैसी शिकायतें पित्ताशय की पथरी का संकेत हो सकती हैं।
  • बुखार और ठंड लगना: यदि पथरी के कारण संक्रमण हो गया हो, तो बुखार और शरीर में कंपकंपी हो सकती है।
  • पीलिया: पथरी अगर बाइल डक्ट को पूरी तरह से ब्लॉक कर दे, तो त्वचा और आंखों का रंग पीला पड़ सकता है — यह बढ़े हुए बिलीरुबिन के कारण होता है।

यदि इन लक्षणों में से कोई भी महसूस हो, खासकर अगर दर्द लगातार बढ़ता जाए या बुखार/पीलिया हो, तो तत्काल चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक है

पित्ताशय की पथरी क्यों होती है? (Causes of Gallbladder Stone)

पित्ताशय की पथरी तब बनती है जब पित्त में मौजूद पदार्थों का संतुलन बिगड़ जाता है। यह असंतुलन धीरे-धीरे ठोस क्रिस्टल्स और फिर पथरी का रूप ले लेता है। आइए जानें इसके मुख्य कारण:

1. पित्त में अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल का होना

यदि लीवर सामान्य से अधिक कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन करता है और वह पित्त में घुल नहीं पाता, तो यह धीरे-धीरे छोटे क्रिस्टल्स के रूप में जमने लगता है, जो समय के साथ पथरी में बदल जाता है।

2. अत्यधिक बिलीरुबिन का उत्पादन

कुछ स्थितियों में जैसे लिवर सिरोसिस, कुछ संक्रमण, या हेमोलिटिक एनीमिया में शरीर अधिक मात्रा में बिलीरुबिन बनाता है। यह अतिरिक्त बिलीरुबिन पित्त में जमकर पथरी बना सकता है।

3. पित्ताशय का सही तरीके से खाली न होना

अगर पित्ताशय हर बार भोजन के बाद पूरी तरह से खाली नहीं होता, तो उसमें बचा हुआ पित्त ठोस कणों में बदल सकता है, जिससे पत्थर बनने की संभावना बढ़ जाती है।

4. वजन में तेजी से बदलाव

तेज़ी से वजन बढ़ना या अचानक वजन कम होना भी पित्ताशय की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है और स्टोन बनने का कारण बन सकता है।

5. अनुवांशिकता (Genetics)

यदि परिवार में किसी को पहले पित्ताशय की पथरी रही हो, तो अन्य सदस्यों में इसके विकसित होने की संभावना अधिक होती है।

6. हार्मोनल बदलाव

गर्भावस्था, मीनोपॉज़ या हार्मोनल थेरेपी के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर में परिवर्तन होते हैं, जिससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है और पथरी बनने का खतरा बढ़ता है।नोट: इन कारणों को जानने के बाद आप पथरी की संभावना को पहचानने और समय रहते चिकित्सकीय सलाह लेने में सक्षम हो सकते हैं।

पित्ताशय की पथरी के प्रकार (Types of Gallbladder Stones)

पित्ताशय की पथरी यानी गॉलब्लैडर स्टोन एक जैसी नहीं होती। ये पथरियाँ उनके निर्माण में शामिल तत्वों और रंग-रूप के आधार पर अलग-अलग प्रकार की हो सकती हैं। चिकित्सा दृष्टिकोण से इन्हें तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा जाता है:

1. कोलेस्ट्रॉल पथरी (Cholesterol Stones)

यह सबसे आम प्रकार की पथरी होती है, जो विशेष रूप से तब बनती है जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो जाती है और वह घुल नहीं पाता।

  • रंग: हल्का पीला, सफेद या हरा
  • स्थान: अधिकतर गॉलब्लैडर में पाई जाती है
  • प्रभावित व्यक्ति: अधिक वसा वाला भोजन करने वाले और मोटे लोगों में अधिक देखी जाती है

2. पिगमेंट पथरी (Pigment Stones)

पिगमेंट स्टोन बिलीरुबिन के अत्यधिक जमाव के कारण बनती है। यह आमतौर पर लिवर की बीमारियों या रक्त संबंधी विकारों से जुड़ी होती है।

  • रंग: काले या गहरे भूरे
  • कारण: सिरोसिस, इंफेक्शन, या हेमोलिटिक एनीमिया
  • स्थान: गॉलब्लैडर और बाइल डक्ट दोनों में पाई जा सकती हैं

3. मिश्रित पथरी (Mixed Gallstones)

यह पथरी कोलेस्ट्रॉल और पिगमेंट दोनों के संयोजन से बनती है और इनमें कैल्शियम और अन्य पदार्थ भी शामिल हो सकते हैं।

  • विशेषता: आकार और बनावट में असमानता
  • स्थिति: अक्सर बार-बार गॉलब्लैडर की समस्याओं वाले रोगियों में देखी जाती है
  • जटिलता: इनका इलाज अपेक्षाकृत जटिल हो सकता है

नोट: किसी भी प्रकार की पथरी हो, यदि समय पर लक्षणों को पहचानकर उपचार न किया जाए, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

पित्ताशय की पथरी के उपचार विकल्प (Gallbladder Stone Treatment)

पित्ताशय की पथरी के इलाज के कई विकल्प मौजूद हैं जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि पथरी का प्रकार और आकार क्या है और उसके लक्षण कितने गंभीर हैं।

1. दवाओं से उपचार (Medication Treatment)

अगर पथरी का आकार छोटा है और कोई गंभीर लक्षण नहीं हैं, तो दवाओं की मदद से इसे घोला जा सकता है।

  • उर्सोडिओल (Ursodiol) या उर्सोडियॉक्सीकोलिक एसिड (UDCA) नामक दवा कोलेस्ट्रॉल से बनी पथरी को धीरे-धीरे घोल सकती है।
  • यह उपचार धीमा होता है और इसमें कई महीने लग सकते हैं।
  • केवल उन्हीं रोगियों के लिए उपयुक्त है जो सर्जरी नहीं करवा सकते।

2. लैप्रोस्कोपिक चोलेसिस्टेक्टॉमी (Laparoscopic Cholecystectomy)

यह सबसे आम और सुरक्षित सर्जिकल तरीका है, जिसमें पूरे गॉलब्लैडर को हटा दिया जाता है।

  • पेट में छोटे-छोटे छेद करके कैमरे की मदद से सर्जरी की जाती है।
  • मरीज को कुछ ही दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है।
  • इसमें रिकवरी तेजी से होती है और शरीर पर ज्यादा निशान भी नहीं रहते।

3. ओपन चोलेसिस्टेक्टॉमी (Open Gallbladder Surgery)

जब पथरी बहुत बड़ी हो या गॉलब्लैडर में सूजन या इंफेक्शन हो, तब यह तरीका अपनाया जाता है।

  • पेट में बड़ा चीरा लगाकर गॉलब्लैडर को हटाया जाता है।
  • इसमें रिकवरी में अधिक समय लगता है।
  • आमतौर पर जटिल मामलों में यह विकल्प चुना जाता है।

4. ईआरसीपी (ERCP – Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography)

जब पथरी केवल बाइल डक्ट (पित्त नली) में फंसी होती है, तो यह प्रक्रिया अपनाई जाती है।

  • एक पतली एंडोस्कोप ट्यूब मुंह से पेट और आंतों तक पहुंचाई जाती है।
  • इसके माध्यम से पथरी को बाइल डक्ट से निकाला जाता है।
  • यह प्रक्रिया गॉलब्लैडर को नहीं हटाती, सिर्फ पथरी को निकालती है।

नोट: पथरी के बार-बार दर्द या संक्रमण का कारण बनने पर अक्सर डॉक्टर गॉलब्लैडर को ही हटाने की सलाह देते हैं क्योंकि पथरी दोबारा बनने की संभावना बनी रहती है।

पित्ताशय की पथरी के रोगियों के लिए घरेलू उपचार और जीवनशैली में परिवर्तन

अगर आप पित्ताशय की पथरी (Gallbladder Stones) से पीड़ित हैं या इससे बचाव करना चाहते हैं, तो कुछ सरल घरेलू उपाय और दैनिक जीवन में बदलाव आपको राहत देने में मदद कर सकते हैं। ये उपाय पथरी के बनने की संभावना को कम करते हैं और पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखते हैं।

1. संतुलित और पौष्टिक आहार अपनाएं

  • फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे फल (सेब, अमरूद), सब्जियाँ (पालक, गाजर) और साबुत अनाज (ओट्स, ब्राउन राइस) शामिल करें।
  • रेड मीट, घी, बटर, और फ्राइड फूड से परहेज करें।

2. वजन को नियंत्रित और स्थिर रखें

  • मोटापा पित्ताशय की पथरी का बड़ा कारण हो सकता है।
  • अचानक वजन घटाने की कोशिश न करें, क्योंकि यह पथरी के जोखिम को बढ़ा सकता है।
  • धीरे-धीरे और संतुलित तरीके से वजन कम करें।

3. वसा (Fat) का सेवन सीमित करें

  • तले हुए और अत्यधिक चिकनाई वाले खाद्य पदार्थ से बचें।
  • खाने में कम वसा वाले विकल्प चुनें जैसे उबली हुई या ग्रिल की गई सब्जियाँ।

4. पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं

  • रोजाना 8-10 गिलास पानी पीने की आदत डालें।
  • यह पाचन को बेहतर बनाता है और पित्त के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।

5. नियमित शारीरिक गतिविधि करें

  • दिन में कम से कम 30 मिनट पैदल चलना, योग या हल्का व्यायाम करें।
  • यह पाचन तंत्र को सक्रिय बनाए रखता है और वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है।

6. छोटे-छोटे और नियमित अंतराल पर भोजन करें

  • लंबे समय तक भूखा न रहें।
  • दिन में 4–5 बार छोटे-छोटे हिस्सों में भोजन लें जिससे पित्ताशय पर दबाव न पड़े।

अतिरिक्त सुझाव:

  • अधिक फास्ट फूड और डिब्बाबंद भोजन से परहेज करें।
  • अगर लक्षण लगातार बने रहें तो घरेलू उपायों पर निर्भर न रहें – डॉक्टर से सलाह लें।

पित्ताशय की पथरी के रोगियों के लिए आहार

पित्ताशय की पथरी से राहत पाने और इसके दोबारा बनने की संभावना को कम करने के लिए सही और संतुलित आहार अपनाना बेहद ज़रूरी है। नीचे दिए गए आहार सुझावों को अपनाकर आप अपने पाचन तंत्र को बेहतर बना सकते हैं और स्वास्थ्य को बनाए रख सकते हैं:

1. फाइबर युक्त भोजन शामिल करें

  • अपने डेली डाइट में फाइबर-rich खाद्य पदार्थ शामिल करें जैसे:
    • हरी पत्तेदार सब्जियाँ (पालक, मैथी, सरसों)
    • ताजे फल (सेब, अमरूद, पपीता)
    • साबुत अनाज (दलिया, ब्राउन राइस, ओट्स)
    • दालें और बीन्स

फायदा: यह पाचन क्रिया को बेहतर करता है और पित्त में बैलेंस बनाए रखता है।

2. कम वसा वाला (Low-Fat) भोजन अपनाएं

  • अधिक वसा या तेलयुक्त भोजन पित्ताशय पर दबाव डालता है।
  • इनसे बचें:
    • तली-भुनी चीज़ें
    • रेड मीट और प्रोसेस्ड फूड
    • मलाई, बटर और भारी क्रीम

वैकल्पिक सुझाव: भाप में पकी या ग्रिल की हुई चीज़ें खाएं।

3. जैतून का तेल सीमित मात्रा में लें

  • जैतून का तेल (Olive Oil) में हेल्दी फैट्स होते हैं जो पाचन को सपोर्ट करते हैं।
  • इसे सलाद ड्रेसिंग या हल्की सब्जियों में उपयोग करें, लेकिन अत्यधिक मात्रा से बचें।

4. भोजन को छोटे भागों में लें (Small Frequent Meals)

  • दिन में 3 भारी भोजन की जगह 4–5 बार हल्के और छोटे भागों में भोजन लें।
  • इससे पित्ताशय पर ज़्यादा दबाव नहीं पड़ता और पाचन आसान रहता है।

5. हाइड्रेटेड रहें

  • रोज़ाना कम से कम 8–10 गिलास पानी पीना न भूलें।
  • यह शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है और पथरी बनने से रोकता है।

🚫 बचने योग्य चीज़ें:

  • फास्ट फूड, ज्यादा मसालेदार खाना
  • कार्बोनेटेड ड्रिंक्स (कोल्ड ड्रिंक्स)
  • प्रोसेस्ड स्नैक्स और मिठाइयाँ

पथरी निकालने के बाद कौन-सी बातों का ध्यान देना चाहिए

पित्त की पथरी निकालने के बाद शरीर को सामान्य स्थिति में लौटने के लिए समय और सही देखभाल की ज़रूरत होती है। सर्जरी के बाद की देखभाल से न सिर्फ़ रिकवरी तेज़ होती है, बल्कि दोबारा समस्याएं होने की संभावना भी कम हो जाती है।

1. हल्का और सुपाच्य भोजन करें

  • शुरुआत में तरल और कम वसा वाला भोजन लें जैसे:
    • खिचड़ी, उबली हुई सब्जियाँ
    • दलिया, दाल का पानी
    • नारियल पानी और सूप
  • तले-भुने और मिर्च-मसालेदार भोजन से बचें।

2. शारीरिक गतिविधियाँ धीरे-धीरे बढ़ाएं

  • सर्जरी के कुछ दिनों बाद हल्की चहलकदमी करें।
  • भारी वजन उठाने या व्यायाम करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें।
  • बहुत देर तक खड़े रहने या झुकने से बचें।

3. दवा और डॉक्टर की सलाह का पालन करें

  • सभी दवाएं नियमित रूप से लें।
  • निर्धारित समय पर टांकों की जांच और फॉलो-अप विज़िट न छोड़ें।
  • यदि दर्द, सूजन या बुखार बढ़े तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

4. पानी और हाइड्रेशन पर ध्यान दें

  • पर्याप्त पानी पीते रहें जिससे पाचन बेहतर बना रहे।
  • डिहाइड्रेशन से बचने के लिए नारियल पानी, नींबू पानी आदि ले सकते हैं।

5. लाइफस्टाइल में संतुलन बनाए रखें

  • ज्यादा देर तक बैठे न रहें।
  • नियमित नींद लें और तनाव से बचें।

ध्यान रखें: सर्जरी के बाद हर व्यक्ति की रिकवरी अलग होती है। इसलिए अपने शरीर के संकेतों को समझें और कोई असामान्यता महसूस होने पर डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?

यदि आप पित्ताशय की पथरी से संबंधित निम्नलिखित गंभीर लक्षण महसूस करें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:

  • पेट के ऊपरी हिस्से में लगातार या तीव्र दर्द जो समय के साथ बढ़ता जा रहा हो
  • पीलिया के लक्षण जैसे आँखों या त्वचा का पीला पड़ना
  • तेज़ बुखार और ठंड लगना, जो संक्रमण का संकेत हो सकता है
  • लगातार मतली या उल्टी
  • भूख में कमी और थकावट

नोट: इन लक्षणों को अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है क्योंकि ये पित्ताशय में संक्रमण, बाइल डक्ट ब्लॉकेज या अन्य जटिलताओं की ओर इशारा कर सकते हैं। जल्द से जल्द गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट या सर्जन से सलाह लें।

निष्कर्ष (Conclusion)

पित्ताशय की पथरी एक आम लेकिन समय पर ध्यान न दिए जाने पर गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन सकती है। इसके लक्षणों को प्रारंभिक अवस्था में पहचानना और उपयुक्त उपचार कराना आवश्यक है ताकि जटिलताओं से बचा जा सके।

स्वस्थ जीवनशैली—जैसे कि संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त पानी पीना और वसा युक्त भोजन से परहेज—गॉलब्लैडर की सेहत को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। यदि आपको कोई लक्षण महसूस हो, तो देर न करें और तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लें।

एक जागरूक और सतर्क दृष्टिकोण अपनाकर आप पित्ताशय की पथरी से बच सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

Expert advice

“पित्ताशय की पथरी एक आम लेकिन गंभीर समस्या मानी जाती है। इसका समय पर सही पता लगाना और उपचार आवश्यक होता है ताकि इसे प्रभावी रूप से संभाला जा सके। संतुलित भोजन, नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर पथरी की दोबारा होने की संभावना कम की जा सकती है।”

Dr. Sachin Singh

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

गॉलब्लैडर में स्टोन होने से क्या होता है?

गॉलब्लैडर में पथरी होने से पेट में तेज दर्द, उल्टी, पीलिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

गाल ब्लैडर स्टोन में क्या नहीं खाना चाहिए?

तली-भुनी चीजें, जंक फूड और अत्यधिक फैट वाला भोजन नहीं खाना चाहिए।

बिना ऑपरेशन के गॉलब्लैडर से पथरी कैसे निकाले?

कुछ दवाएं पथरी को घोल सकती हैं लेकिन यह सभी प्रकार की पथरी के लिए कारगर नहीं होती।

कौन सा भोजन पित्त पथरी को पिघला देता है?

फाइबर युक्त आहार और पर्याप्त पानी का सेवन पित्ताशय की पथरी को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है।

गॉलब्लैडर स्टोन का ऑपरेशन कब करना चाहिए?

जब पथरी के कारण गंभीर लक्षण उत्पन्न हो रहे हों तब सर्जरी की सलाह दी जाती है।

गॉलब्लैडर स्टोन के लिए कौन सा ऑपरेशन सबसे अच्छा है?

लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॉमी सबसे आम और सुरक्षित प्रक्रिया मानी जाती है।

पित्ताशय की पथरी निकालने की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

उर्सोडियॉक्सीकोलिक एसिड (UDCA) जैसी दवाएं कोलेस्ट्रॉल पथरी को घोलने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं और इसको एक अच्छी दवा माना जाता है लेकिन कोई भी दवाई बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए।

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