Hemoglobin Kaise Badhaye In Hindi

हीमोग्लोबिन क्या है? इसे बढ़ाने के उपाय, सामान्य रेंज और कमी के लक्षण

हीमोग्लोबिन हमारे रक्त का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचाता है। हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षण जैसे थकान, कमजोरी, और सांस लेने में तकलीफ स्वास्थ्य के लिए गंभीर संकेत हो सकते हैं। हीमोग्लोबिन कैसे बढ़ाए और हीमोग्लोबिन कितना होना चाहिए? ये सवाल कई लोगों के मन में होते हैं। इस लेख में हम हीमोग्लोबिन, इसके सामान्य स्तर, कमी के कारण, लक्षण, और इसे बढ़ाने के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। हमारा लक्ष्य आपको सरल और उपयोगी जानकारी प्रदान करना है ताकि आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकें।

हीमोग्लोबिन क्या है? (What is Hemoglobin in Hindi)

हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन है जो लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) में पाया जाता है। यह आयरन युक्त यौगिक है जो फेफड़ों से ऑक्सीजन को अवशोषित करके शरीर के ऊतकों और अंगों तक पहुँचाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को वापस फेफड़ों तक लाता है। हीमोग्लोबिन की परिभाषा में इसका महत्वपूर्ण कार्य शामिल है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करने और चयापचय को बनाए रखने में मदद करता है। हीमोग्लोबिन की कमी से एनीमिया जैसी समस्याएँ हो सकती हैं, जो स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा दोनों में हीमोग्लोबिन के स्तर को संतुलित रखने पर जोर दिया जाता है। यह रक्त में लाल रंग के लिए भी जिम्मेदार है।

हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर

हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर उम्र, लिंग, और स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर भिन्न होता है। सामान्यतः, यह स्तर ग्राम प्रति डेसीलीटर (g/dL) में मापा जाता है। निम्नलिखित विभिन्न समूहों के लिए सामान्य रेंज हैं:

1. पुरुषों में हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर

पुरुषों में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्यतः अधिक होता है क्योंकि उनके शरीर में मांसपेशियों की मात्रा और ऑक्सीजन की आवश्यकता अधिक होती है।

  • सामान्य रेंज: 13.8 से 17.2 g/dL
  • महत्व: यह स्तर मांसपेशियों, हृदय, और मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन प्रदान करता है।
  • वैज्ञानिक आधार: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 13 g/dL से कम स्तर पुरुषों में एनीमिया का संकेत है।
  • लाभकारी लोग: स्वस्थ पुरुष, विशेष रूप से एथलीट या शारीरिक रूप से सक्रिय लोग।
  • उदाहरण: 15 g/dL का स्तर पुरुषों में ऊर्जा और कार्यक्षमता को बनाए रखता है।
  • सावधानी: नियमित रक्त परीक्षण कराएँ।

2. महिलाओं में हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर

महिलाओं में मासिक धर्म और गर्भावस्था के कारण हीमोग्लोबिन का स्तर पुरुषों से थोड़ा कम हो सकता है।

  • सामान्य रेंज: 12.1 से 15.1 g/dL
  • महत्व: यह स्तर गर्भावस्था, मासिक धर्म, और सामान्य ऊर्जा के लिए आवश्यक है।
  • वैज्ञानिक आधार: WHO के अनुसार, 12 g/dL से कम स्तर महिलाओं में एनीमिया का संकेत है।
  • लाभकारी लोग: स्वस्थ महिलाएँ, गर्भवती महिलाएँ, और स्तनपान कराने वाली माँएँ।
  • उदाहरण: 13 g/dL का स्तर महिलाओं में थकान को कम करता है।
  • सावधानी: मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव पर ध्यान दें।

3. बच्चों में हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर

बच्चों में हीमोग्लोबिन का स्तर उनकी उम्र और विकास के आधार पर बदलता है।

  • सामान्य रेंज:
    • नवजात (0-1 महीना): 13.5 से 19.5 g/dL
    • शिशु (1-12 महीने): 11.0 से 13.0 g/dL
    • बच्चे (1-12 वर्ष): 11.5 से 15.5 g/dL
  • महत्व: यह स्तर विकास, मस्तिष्क कार्य, और ऊर्जा के लिए जरूरी है।
  • वैज्ञानिक आधार: शिशुओं में 11 g/dL से कम स्तर एनीमिया का संकेत है।
  • लाभकारी लोग: बढ़ते बच्चे, किशोर, और नवजात।
  • उदाहरण: 12 g/dL का स्तर बच्चों में सक्रियता बनाए रखता है।
  • सावधानी: बच्चों में आहार की कमी पर ध्यान दें।

4. गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर

गर्भवती महिलाओं में रक्त की मात्रा बढ़ने के कारण हीमोग्लोबिन का स्तर थोड़ा कम हो सकता है।

  • सामान्य रेंज: 11.0 से 13.5 g/dL
  • महत्व: यह स्तर माँ और शिशु दोनों के लिए ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
  • वैज्ञानिक आधार: WHO के अनुसार, 11 g/dL से कम स्तर गर्भवती महिलाओं में एनीमिया का संकेत है।
  • लाभकारी लोग: गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएँ।
  • उदाहरण: 12 g/dL का स्तर गर्भावस्था में ऊर्जा बनाए रखता है।
  • सावधानी: नियमित रक्त परीक्षण और चिकित्सक की सलाह लें।

हीमोग्लोबिन कम होने के कारण (Causes of Low Hemoglobin in Hindi )

हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षण कई कारणों से हो सकते हैं। निम्नलिखित प्रमुख कारण हैं:

  • आयरन की कमी: आयरन हीमोग्लोबिन का मुख्य घटक है; इसकी कमी से एनीमिया होता है।
  • रक्तस्राव: मासिक धर्म, चोट, अल्सर, या सर्जरी से रक्त की हानि।
  • पोषण की कमी: विटामिन B12, फोलिक एसिड, या प्रोटीन की कमी।
  • पुरानी बीमारियाँ: किडनी रोग, कैंसर, या डायबिटीज हीमोग्लोबिन को प्रभावित करते हैं।
  • आनुवंशिक कारण: थैलेसीमिया या सिकल सेल एनीमिया।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि आयरन की कमी 70% एनीमिया मामलों का कारण है।
  • लाभकारी लोग: जो लोग असंतुलित आहार लेते हैं या रक्तस्राव का सामना करते हैं।
  • उदाहरण: भारी मासिक धर्म वाली महिलाओं में आयरन की कमी आम है।
  • सावधानी: कारणों की पहचान के लिए रक्त परीक्षण कराएँ।

1. आयरन की कमी

आयरन की कमी सबसे आम कारण है जिससे हीमोग्लोबिन कैसे बढ़ाए का सवाल उठता है।

  • प्रभाव: आयरन की कमी से लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण कम होता है।
  • लक्षण: थकान, कमजोरी, और पीली त्वचा।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि 20-30% महिलाएँ आयरन की कमी से पीड़ित हैं।
  • लाभकारी लोग: शाकाहारी, गर्भवती महिलाएँ, और बच्चे।
  • उपाय: आयरन युक्त आहार और सप्लीमेंट्स लें।
  • उदाहरण: रोज़ 10-15 मिलीग्राम आयरन की आवश्यकता होती है।
  • सावधानी: ज्यादा आयरन से पेट की समस्याएँ हो सकती हैं।

2. रक्तस्राव और चोटें

रक्तस्राव से हीमोग्लोबिन का स्तर तेजी से कम हो सकता है।

  • प्रकार: मासिक धर्म, गैस्ट्रिक अल्सर, बवासीर, या दुर्घटना।
  • प्रभाव: रक्त की हानि से लाल रक्त कोशिकाएँ कम होती हैं।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि भारी मासिक धर्म से 10% महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित होती हैं।
  • लाभकारी लोग: भारी मासिक धर्म वाली महिलाएँ, सर्जरी के मरीज।
  • उपाय: रक्तस्राव का इलाज और आयरन सप्लीमेंट्स।
  • उदाहरण: मासिक धर्म के दौरान आयरन युक्त आहार लें।
  • सावधानी: चिकित्सक से सलाह लें यदि रक्तस्राव बार-बार हो।

3. पोषण की कमी

विटामिन B12, फोलिक एसिड, और प्रोटीन की कमी भी हीमोग्लोबिन को प्रभावित करती है।

  • प्रभाव: ये पोषक तत्व लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करते हैं।
  • लक्षण: थकान, सांस लेने में कठिनाई, और जीभ में जलन।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि 15% शाकाहारी लोगों में विटामिन B12 की कमी होती है।
  • लाभकारी लोग: शाकाहारी, बुजुर्ग, और बच्चे।
  • उपाय: विटामिन B12 और फोलिक एसिड युक्त आहार या सप्लीमेंट्स।
  • उदाहरण: रोज़ 2.4 माइक्रोग्राम विटामिन B12 की आवश्यकता होती है।
  • सावधानी: संतुलित आहार लें।

4. पुरानी बीमारियाँ और अन्य कारण

कुछ बीमारियाँ और स्थितियाँ भी हीमोग्लोबिन को कम करती हैं।

  • प्रकार: किडनी रोग, कैंसर, थायराइड, या मलेरिया।
  • प्रभाव: ये बीमारियाँ लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण को बाधित करती हैं।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि किडनी रोग से पीड़ित 50% मरीजों में एनीमिया होता है।
  • लाभकारी लोग: पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोग।
  • उपाय: बीमारी का इलाज और सप्लीमेंट्स।
  • उदाहरण: किडनी रोग में आयरन और एरिथ्रोपोइटिन इंजेक्शन उपयोगी हैं।
  • सावधानी: चिकित्सक की सलाह अनिवार्य है।

हीमोग्लोबिन बढ़ाने के उपाय

हीमोग्लोबिन कैसे बढ़ाए और हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए क्या खाए)? निम्नलिखित प्रभावी उपाय हैं:

1. आयरन युक्त आहार

आयरन युक्त आहार हीमोग्लोबिन बढ़ाने का सबसे प्राकृतिक तरीका है।

  • खाद्य पदार्थ:
    • हरी पत्तेदार सब्जियाँ (पालक, मेथी)
    • दालें (मसूर, चना)
    • मांस (लिवर, चिकन)
    • सूखे मेवे (किशमिश, खजूर)
    • अनार और चुकंदर
  • लाभ: आयरन लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण को बढ़ाता है।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि आयरन युक्त आहार 4-6 सप्ताह में हीमोग्लोबिन को 1-2 g/dL बढ़ा सकता है।
  • लाभकारी लोग: शाकाहारी, गर्भवती महिलाएँ, और बच्चे।
  • उपयोग विधि: रोज़ 100-150 ग्राम पालक या 1 अनार खाएँ।
  • उदाहरण: पालक का सूप या अनार का जूस रोज़ लें।
  • सावधानी: आयरन के साथ चाय या कॉफी न लें, क्योंकि ये अवशोषण को कम करते हैं।

2. विटामिन C का सेवन

विटामिन C आयरन के अवशोषण को बढ़ाता है।

  • खाद्य पदार्थ:
    • संतरा, नींबू
    • आँवला
    • टमाटर
    • शिमला मिर्च
  • लाभ: विटामिन C आयरन को आंतों में अवशोषित करने में मदद करता है।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि विटामिन C आयरन के अवशोषण को 20-30% बढ़ाता है।
  • लाभकारी लोग: आयरन की कमी से पीड़ित लोग।
  • उपयोग विधि: आयरन युक्त भोजन के साथ 1 संतरा या आँवला लें।
  • उदाहरण: पालक के साथ नींबू का रस मिलाएँ।
  • सावधानी: ताजा फल और सब्जियाँ चुनें।

3. आयरन सप्लीमेंट्स

जब आहार से पर्याप्त आयरन नहीं मिलता, तो सप्लीमेंट्स उपयोगी होते हैं।

  • प्रकार: फेरस सल्फेट, फेरस ग्लूकोनेट।
  • लाभ: सप्लीमेंट्स तेजी से हीमोग्लोबिन बढ़ाते हैं।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि आयरन सप्लीमेंट्स 2-4 सप्ताह में हीमोग्लोबिन को 1-3 g/dL बढ़ा सकते हैं।
  • लाभकारी लोग: गंभीर एनीमिया वाले लोग, गर्भवती महिलाएँ।
  • उपयोग विधि: चिकित्सक की सलाह पर 10-20 मिलीग्राम रोज़ लें।
  • उदाहरण: सुबह खाली पेट आयरन टैबलेट लें।
  • सावधानी: ज्यादा आयरन से कब्ज या पेट की समस्याएँ हो सकती हैं।

4. रक्तदान से बचाव

बार-बार रक्तदान या रक्तस्राव से हीमोग्लोबिन कम हो सकता है।

  • उपाय:
    • रक्तदान से पहले हीमोग्लोबिन स्तर की जाँच करें।
    • भारी मासिक धर्म का इलाज करें।
    • चोटों से बचें।
  • लाभ: रक्त की हानि को रोककर हीमोग्लोबिन स्थिर रहता है।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि बार-बार रक्तदान से 10% लोगों में एनीमिया होता है।
  • लाभकारी लोग: नियमित रक्तदाता, भारी मासिक धर्म वाली महिलाएँ।
  • उदाहरण: रक्तदान के बाद 3-4 महीने तक आयरन युक्त आहार लें।
  • सावधानी: रक्तदान के लिए चिकित्सक की सलाह लें।

5. विटामिन B12 और फोलिक एसिड युक्त आहार

विटामिन B12 और फोलिक एसिड लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करते हैं।

  • खाद्य पदार्थ:
    • अंडे, मछली (विटामिन B12)
    • ब्रोकली, मूँगफली (फोलिक एसिड)
    • दूध और दही
  • लाभ: ये पोषक तत्व मेगालोब्लास्टिक एनीमिया को रोकते हैं।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि विटामिन B12 की कमी 15% शाकाहारी लोगों में होती है।
  • लाभकारी लोग: शाकाहारी, बुजुर्ग, और बच्चे।
  • उपयोग विधि: रोज़ 1 अंडा या 100 ग्राम ब्रोकली खाएँ।
  • उदाहरण: दही के साथ मूँगफली का सलाद लें।
  • सावधानी: सप्लीमेंट्स चिकित्सक की सलाह पर लें।

6. स्वस्थ जीवनशैली

स्वस्थ जीवनशैली हीमोग्लोबिन के स्तर को बनाए रखने में मदद करती है।

  • व्यायाम: हल्का व्यायाम (जैसे योग, टहलना) रक्त संचार को बेहतर बनाता है।
  • नींद: 7-8 घंटे की नींद कोशिका निर्माण को बढ़ावा देती है।
  • तनाव प्रबंधन: ध्यान और गहरी साँस तनाव को कम करते हैं।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि व्यायाम रक्त निर्माण को 10% बढ़ाता है।
  • लाभकारी लोग: सभी आयु वर्ग।
  • उपयोग विधि: रोज़ 30 मिनट टहलें और 7 घंटे सोएँ।
  • उदाहरण: सुबह योग करने से ऊर्जा बढ़ती है।
  • सावधानी: अत्यधिक व्यायाम से बचें।

हीमोग्लोबिन कम होने के लक्षण (Symptoms of Low Hemoglobin in Hindi)

हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षण शरीर में ऑक्सीजन की कमी को दर्शाते हैं। निम्नलिखित प्रमुख लक्षण हैं:

1. थकान और कमजोरी

थकान और कमजोरी सबसे आम लक्षण हैं।

  • प्रभाव: ऑक्सीजन की कमी से मांसपेशियाँ और मस्तिष्क थक जाते हैं।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि 80% एनीमिया रोगी थकान की शिकायत करते हैं।
  • लाभकारी लोग: आयरन की कमी वाले लोग।
  • उदाहरण: हल्का काम करने पर भी थकान महसूस होना।
  • सावधानी: लक्षण दिखने पर रक्त परीक्षण कराएँ।

2. सांस लेने में कठिनाई

ऑक्सीजन की कमी से सांस लेने में परेशानी होती है।

  • प्रभाव: फेफड़े और हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि 50% एनीमिया रोगियों में सांस की तकलीफ होती है।
  • लाभकारी लोग: गंभीर एनीमिया वाले लोग।
  • उदाहरण: सीढ़ियाँ चढ़ते समय सांस फूलना।
  • सावधानी: तुरंत चिकित्सक से सलाह लें।

3. चक्कर आना और सिरदर्द

मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने से चक्कर और सिरदर्द होता है।

  • प्रभाव: रक्त प्रवाह और ऑक्सीजन की कमी मस्तिष्क को प्रभावित करती है।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि 40% एनीमिया रोगियों में चक्कर आते हैं।
  • लाभकारी लोग: आयरन और विटामिन B12 की कमी वाले लोग।
  • उदाहरण: अचानक खड़े होने पर चक्कर आना।
  • सावधानी: नियमित रक्त परीक्षण कराएँ।

4. त्वचा का पीला पड़ना

हीमोग्लोबिन की कमी से त्वचा और नाखून पीले पड़ सकते हैं।

  • प्रभाव: लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से त्वचा का रंग फीका पड़ता है।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि 60% एनीमिया रोगियों में त्वचा पीली होती है।
  • लाभकारी लोग: गंभीर एनीमिया वाले लोग।
  • उदाहरण: आँखों के नीचे सफेदी या नाखूनों का पीला पड़ना।
  • सावधानी: चिकित्सक से सलाह लें।

5. अन्य लक्षण

अन्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • ठंडे हाथ-पैर: रक्त संचार की कमी से।
  • हृदय गति बढ़ना: ऑक्सीजन की कमी की भरपाई के लिए।
  • बाल झड़ना: पोषक तत्वों की कमी से।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि 30% एनीमिया रोगियों में बाल झड़ने की शिकायत होती है।
  • लाभकारी लोग: सभी आयु वर्ग।
  • उदाहरण: सर्दी में हाथ-पैर ठंडे रहना।
  • सावधानी: लक्षणों को नजरअंदाज न करें।

हीमोग्लोबिन की कमी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएँ

हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षण यदि अनुपचारित रहें, तो गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकते हैं:

  • एनीमिया: आयरन, विटामिन B12, या फोलिक एसिड की कमी से।
  • हृदय समस्याएँ: हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे हृदय रोग का जोखिम बढ़ता है।
  • गर्भावस्था में जटिलताएँ: समय से पहले प्रसव या कम वजन वाले शिशु।
  • विकास में कमी: बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है।
  • वैज्ञानिक आधार: शोध में पाया गया कि गंभीर एनीमिया हृदय रोग के जोखिम को 20% बढ़ाता है।
  • लाभकारी लोग: सभी आयु वर्ग।
  • उदाहरण: गंभीर एनीमिया से हृदय गति असामान्य हो सकती है।
  • सावधानी: समय पर इलाज जरूरी है।

निष्कर्ष

हीमोग्लोबिन शरीर के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह ऑक्सीजन को कोशिकाओं तक पहुँचाता है। इसके स्तर को सामान्य रखने के लिए संतुलित आहार, जिसमें आयरन, विटामिन C, और B12 शामिल हों, जरूरी है। कमी के लक्षणों को गंभीरता से लें और नियमित जांच कराएँ। चिकित्सक की सलाह और स्वस्थ जीवनशैली से हीमोग्लोबिन संतुलित रखकर स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

हीमोग्लोबिन को बढ़ाने के लिए क्या खाएं?

हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए पालक, चुकंदर, अनार, सेब, और गुड़ जैसे आयरन युक्त खाद्य पदार्थ खाएं। मांस, मछली, और अंडे भी अच्छे स्रोत हैं। दालें, मेवे, और बीज जैसे खाद्य पदार्थ भी सहायक हैं। विटामिन सी युक्त फल आयरन अवशोषण को बढ़ाते हैं।

हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षण क्या होते हैं?

हीमोग्लोबिन की कमी से थकान, कमजोरी, चक्कर आना, और सांस फूलना जैसे लक्षण दिखते हैं। त्वचा का पीलापन, ठंडे हाथ-पैर, और अनियमित दिल की धड़कन भी हो सकती है। गंभीर कमी से ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है।

हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए कितनी आयरन की आवश्यकता होती है?

वयस्क पुरुषों को रोज 8-10 मिलीग्राम और महिलाओं को 18-20 मिलीग्राम आयरन की जरूरत होती है। गर्भवती महिलाओं को 27 मिलीग्राम तक आयरन चाहिए। कमी होने पर डॉक्टर अधिक खुराक सुझा सकते हैं। आहार और सप्लीमेंट्स से इसकी पूर्ति करें।

क्या विटामिन C से हीमोग्लोबिन का अवशोषण बेहतर होता है?

हाँ, विटामिन सी आयरन के अवशोषण को बढ़ाता है, खासकर पौधों से मिलने वाले नॉन-हीम आयरन को। संतरा, नींबू, टमाटर, और शिमला मिर्च जैसे खाद्य पदार्थ आयरन युक्त भोजन के साथ लें। यह हीमोग्लोबिन निर्माण में मदद करता है।

हीमोग्लोबिन की कमी से क्या स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं?

हीमोग्लोबिन की कमी से एनीमिया, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता, और हृदय पर दबाव बढ़ सकता है। यह गर्भावस्था में जटिलताएँ और बच्चों में विकासात्मक समस्याएँ पैदा कर सकता है। लंबे समय तक कमी से अंगों को नुकसान हो सकता है।

क्या आयरन सप्लीमेंट्स का सेवन जरूरी है?

आयरन सप्लीमेंट्स की जरूरत तब पड़ती है, जब आहार से आयरन की कमी पूरी न हो या गंभीर एनीमिया हो। डॉक्टर की सलाह के बिना इन्हें न लें, क्योंकि अधिक आयरन से नुकसान हो सकता है। आहार से आयरन लेना प्राथमिकता होनी चाहिए।


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