जैतून के तेल के फायदे और नुकसान : Olive Oil Benefits and Side Effects in Hindi

जैतून के तेल के फायदे और नुकसान : Olive Oil Benefits and Side Effects in Hindi

जैतून का तेल जिसे हम आमतौर पर Olive Oil के नाम से भी जानते हैं, एक ऐसा तेल है जिसे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक माना जाता है। इसे जैतून के फलों से निकाला जाता है और इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है। इसका Green Mediterranean Diet में काफी महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। हेल्थ के प्रति सजग लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ रही है। इसकी बढ़ती लोकप्रियता के कारण आज के इस लेख (blog) में हम जैतून के तेल की चर्चा करेंगे और जानेंगे इससे जुड़े फायदे, नुकसान और कुछ तथ्य जो शायद आपने पहले नहीं सुने हों। 

जैतून के तेल के प्रकार  (Types of Olive Oils in Hindi)

जैतून का तेल विभिन्न प्रकार में पाया जाता है जिनमें से निम्नलिखित प्रकार मुख्य हैं :

  1. एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून का तेल (Extra Virgin Olive Oil) : यह सबसे उत्तम प्रकार वाला जैतून का तेल होता है जिसे कोल्ड प्रेसिंग विधि (cold pressing method) के जरिए निकाला जाता है ताकि अत्यधिक तापमान के कारण इसका वास्तविक स्वाद बचाया जा सके। अच्छे स्वास्थ्य के लिए इसका इसको सबसे किफायती माना जाता है। 

उपयोग : सलाद और बिना पकाये जाने वाले व्यंजनों में । 

  1. वर्जिन जैतून का तेल (Virgin Olive Oil): यह भी कोल्ड प्रेसिंग विधि (cold pressing method) के जरिए ही बनाया जाता है लेकिन इसमें अम्ल की मात्रा एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून तेल के मुकाबले ज्यादा पायी जाती है। 

उपयोग : सलाद, हल्के तलने वाली चीजों के लिए और बेक करने के लिए। 

  1. रिफाइंड जैतून का तेल (Refined Olive Oil): यह विभिन्न भौतिक एवं रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा तैयार किया जाता है। गुणवत्ता में इसे काफी कम दर्जे का माना जाता है।

उपयोग : उच्च तापमान पर पकाने, तलने और बेकिंग के लिए। 

  1. प्योर जैतून का तेल (Pure Olive Oil): यह वर्जिन और रिफाइन्ड  जैतून के तेल का मिश्रण होता है। 

उपयोग : सामान्य तौर पर पकाने और तलने के लिए। 

  1. लाइट जैतून का तेल (Light Olive Oil): यह नाम इसके हल्के रंग और हल्की सुगंध के कारण होता है। इसे रिफाइंड तेल से तैयार किया जाता है।

उपयोग: बेकिंग, फ्राइंग और पकाने में जहाँ हल्का स्वाद आवश्यक हो।   

जैतून के तेल में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Nutrients Found in Olive Oil)

United States Department of Agriculture (USDA) के अनुसार जैतून के तेल में महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं जो कि इसे एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प बनाता है। 

आइए, नीचे दिए गए तालिका में जैतून के तेल में पाए जाने वाले प्रमुख पोषक तत्वों और उनकी मात्रा का विवरण जानते हैं।

पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम 
कैलोरी 884 
Monosaturated फैट 73 ग्राम 
विटामिन E14.4 मिलीग्राम 
Potassium 1 मिलीग्राम 

इसके अलावा जैतून के तेल में कुछ ऐन्टीआक्सिडन्ट भी पाए जाते हैं जिनके अपने अलग फायदे होते हैं। 

जैतून के तेल के फायदे (Olive Oil ke Fayde in Hindi)

जैतून के तेल को अपने आहार में शामिल करने से काफी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से बचा जा सकता है। आइए, जैतून के तेल के कुछ प्रमुख फायदों पर नज़र डालते हैं:

  1. हृदय स्वास्थ्य : जैतून का तेल अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाता है और बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है जो कि हृदय के स्वास्थ्य को अच्छा करता है और हृदय संबंधी रोगों से मुक्ति देने में मदद करता है। 
  2. वजन घटाने में  : मोनोसैचुरेटेड फैट (Monosaturated fat) की अच्छी मात्रा के कारण मोटापे का खतरा कम होता है क्यूंकि यह वजन को नियंत्रित करने में काफी मदद करता है और यह जैतून के तेल में काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। 
  3. इम्यूनिटी को बढ़ाने में : जैतून के तेल में विटामिन E काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो कि एक फैट-सॉल्यूबल विटामिन है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है जो कि इम्यूनिटी को बढ़ाने में काफी मददगार होता है। 
  4. त्वचा और बालों के लिए : जैतून का तेल त्वचा को नमीं प्रदान करता है और बालों को मजबूत बनाता है। 
  5. पाचन में सुधार : जैतून का तेल कब्ज जैसी समस्याओ का समाधान करता है जिससे कि पाचन तंत्र और मजबूत होता है। 

जैतून के तेल के नुकसान (Side Effects of Olive Oil in Hindi)

जैतून के तेल के कुछ संभावित नुकसान भी हैं जैसे कि :

  1. वजन बढ़ना: जैतून का तेल कैलोरी में ज्यादा होता है, जो कि अधिक मात्रा में सेवन करने पर वजन बढ़ा सकता है।
  2. एलर्जी प्रतिक्रियाएँ: कुछ लोगों को जैतून के तेल से एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा पर निशान, खुजली या सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
  3. रक्तचाप पर प्रभाव: अत्यधिक जैतून के तेल का सेवन रक्तचाप को कम कर सकता है, जिससे हाइपोटेंशन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  4. ब्लड शुगर पर प्रभाव: जैतून का तेल ब्लड शुगर स्तर को प्रभावित कर सकता है, जिससे मधुमेह के रोगियों को समस्या हो सकती है।
  5. पाचन समस्याएँ: अत्यधिक सेवन से दस्त और पेट दर्द जैसी पाचन समस्याएँ हो सकती हैं।
  6. स्किन इरिटेशन: जैतून के तेल का त्वचा पर सीधा उपयोग कुछ लोगों के लिए जलन या मुहांसे उत्पन्न कर सकता है।
  7. हृदय रोग के जोखिम: पुराने या ऑक्सीडाइज़्ड जैतून के तेल का सेवन हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकता है।
  8. चिकित्सीय दवाओं के साथ अंतःक्रिया: जैतून का तेल कुछ दवाओं के प्रभाव को प्रभावित कर सकता है, विशेष रूप से ब्लड थिनर्स और रक्तचाप की दवाओं के साथ।

सर्वोत्तम जैतून का तेल कैसे चुने (How to Choose the Best Olive Oil)

जैतून का तेल खरीदते वक्त इन बातों को ध्यान में रखें:

  1. बेहतर तेल का चयन: सबसे पहले, एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून का तेल लें। इसे बिना किसी रासायनिक प्रक्रिया के ठंडे दबाव से निकाला जाता है और इसमें सबसे ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं।
  2. पैकेज की जांच: बोतल पर “एक्स्ट्रा वर्जिन” लिखा होना चाहिए। साथ ही, “कुल अम्लता” 0.8% से कम होनी चाहिए। बनने और खराब होने की तारीख भी देख लें।
  3. बोतल का रंग: जैतून का तेल हमेशा गहरे रंग की बोतल या टिन के डिब्बे में खरीदें। ये पैकेजिंग तेल को रोशनी और हवा से बचाती है, जो इसकी गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  4. उत्पादन स्थान: भूमध्य सागर के आसपास के देश जैसे इटली स्पेन, या ग्रीस से आने वाला तेल अक्सर बेहतर गुणवत्ता का होता है।
  5. प्रमाणीकरण: जैविक प्रमाणित और “DOP” (Protected Designation of Origin) वाले लेबल को तरजीह दें। ये लेबल गुणवत्ता की गारंटी देते हैं।

इन सलाहों को याद रखकर आप शानदार जैतून का तेल चुन सकते हैं जो स्वाद में बेहतरीन होने के साथ-साथ आपकी सेहत के लिए भी फायदेमंद होगा।

जैतून के तेल से जुड़े कुछ मिथक (Common Myths About Olive Oil in Hindi)

जिस प्रकार से किसी भी चीज के बारे में अच्छी चीजें सामने आती हैं तो उससे जुड़े हुए मिथ्यों को फैलने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगता है। जैतून के तेल के बारे में भी कुछ मिथक फैले हुए हैं जिनको दूर करना जरूरी है। 

  1. मिथक: जैतून का तेल एक जैसा होता है। 

सच: जैतून के तेल में कई रूप पाए जाते हैं जैसे एक्स्ट्रा वर्जिन,वर्जिन, रिफाइन्ड, प्योर और हल्का। एक्स्ट्रा वर्जिन तेल सबसे अच्छा माना जाता है, जबकि अन्य प्रकारों की गुणवत्ता उनकी प्रक्रिया पर निर्भर करती है।

  1. मिथक: जैतून का तेल कभी खराब नहीं होता। 

सच: जैतून का तेल भी दूसरे तेलों की तरह समय के साथ बिगड़ सकता है। इसे ठंडी, अंधेरी जगह पर रखना चाहिए और एक्सपायरी डेट से पहले इस्तेमाल कर लेना चाहिए।

  1. मिथक: गहरा रंग अच्छी गुणवत्ता का संकेत देता है। 

सच: जैतून के तेल का रंग उसके प्रकार और बनाने की विधि पर निर्भर करता है। रंग से गुणवत्ता नहीं पहचानी जा सकती, बल्कि स्वाद और खुशबू पर ध्यान देना ज़रूरी है।

जैतून का तेल स्वास्थ्य के लिए अच्छा विकल्प है। इसका स्वाद अनोखा है और यह शरीर को कई तरह से फायदा पहुंचाता है। इसमें पोषक तत्व भरपूर हैं और यह सेहत को लाभ देता है। लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी है।अगर आप जैतून का तेल खाना चाहते हैं, तो इसे अपने खाने में थोड़ा-थोड़ा डालें और इससे होने वाले नुकसान के बारे में सावधान रहें। याद रखें, हर चीज का सेवन सही मात्रा में करना ही अच्छा होता है। जैतून का तेल आपकी सेहत को बेहतर बना सकता है अगर आप इसे सही तरीके से इस्तेमाल करें।


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