Best Home Remedies to Stop Vomiting in Hindi

उल्टी रोकने के लिए बेहतरीन घरेलू उपाय (Vomiting in Hindi)

उल्टी (Ulti) एक सामान्य समस्या है, जो कई कारणों से हो सकती है। यह पेट की गड़बड़ी, फूड पॉइजनिंग, गर्भावस्था, माइग्रेन, एसिडिटी या किसी संक्रमण का संकेत हो सकता है। कभी-कभी यात्रा के दौरान या अधिक खाना खाने से भी उल्टी हो सकती है। यह शरीर की एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया होती है, जिससे हानिकारक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इस लेख में आपको उल्टी रोकने के असरदार घरेलू उपाय, कारण, और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण की जानकारी मिलेगी।

उल्टी क्या है? (What is Vomiting in Hindi)

उल्टी (Vomiting) एक सामान्य शारीरिक प्रतिक्रिया है, जिसमें पेट की सामग्री मुंह के माध्यम से बाहर निकलती है। उल्टी जैसी समस्या के बारे में जानने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान से पढ़ें –

  • अधिक तेल-मसालेदार या खराब भोजन के कारण इसका प्रभाव हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है, जिसमें पेट भोजन को पचाने के स्थान पर पेट की सामग्री मुँह के माध्यम से बहार निकाल देता है।
  • उल्टी कई बार किसी बड़ी बिमारी का भी संकेत होती है, जैसे पित्त में पथरी बनना, पाचन क्रिया का स्वस्थ न रहना आदि।
  • जरूरी नहीं कि उल्टियां केवल बिमारियों का ही संकेत हैं, कई बार यह सफर के दौरान भी हो जाती है।

उल्टी हो सकती है किसी खास बीमारी का संकेत

उल्टी (vomiting) सिर्फ सामान्य पेट की गड़बड़ी नहीं, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकती है, जो निम्नलिखित हैं –

  • दूषित भोजन से बैक्टीरियल संक्रमण जैसे – फूड पॉइजनिंग या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण का होना।
  • सिरदर्द के साथ उल्टी होना चिंता का कारण हो सकता है, जो माइग्रेन या न्यूरोलॉजिकल समस्या का संकेत है।
  • एसिड रिफ्लक्स और अल्सर भी वजह बन सकते हैं, जो एसिडिटी या पेट संबंधी बीमारी का संकेत होता है।
  • किडनी या लीवर से जुड़ी समस्या या टॉक्सिन्स न निकलने से उल्टी हो सकती है।
  • प्रेग्नेंसी या हार्मोनल बदलाव भी उल्टी का एक बड़ा संकेत होता है।

उल्टी होने के कारण

उल्टी होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं –

  • बता दें कि ज्यादा तला-भुना या बासी खाना खाने से पेट में गड़बड़ी हो सकती है। एसिडिटी या गैस्ट्रिक प्रॉब्लम भी उल्टी का कारण बन सकती है।
  • खराब या दूषित भोजन से फूड पॉइजनिंग हो सकती है, जिससे उल्टी होती है। पेट में बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण (जैसे नॉरोवायरस) भी उल्टी करवा सकता है।
  • गर्भवती महिलाओं में हार्मोनल बदलाव की वजह से उल्टी आना सामान्य है, खासकर पहले तीन महीनों में। ज्यादा तेज़ सिरदर्द या माइग्रेन में उल्टी आ सकती है।
  • इसके साथ ही कुछ दवाइयाँ, खासकर एंटीबायोटिक्स, उल्टी का कारण बन सकती हैं।
  • अधिक शराब पीने से शरीर इसे निकालने की कोशिश करता है, जिससे उल्टी हो सकती है। घबराहट, स्ट्रेस या एंग्जायटी के कारण भी उल्टी महसूस हो सकती है।

बस या गाड़ी में उल्टी होने के कारण

यहाँ आपके लिए बस या गाड़ी में उल्टी होने के कारण दिए गए हैं –

  •  बंद बस या कार में ताजी हवा की कमी और पेट्रोल-डीजल की गंध भी मतली का कारण बन सकती है।
  • खाली पेट सफर करने से एसिडिटी बढ़ती है, जबकि ज्यादा तला-भुना खाने से भी अपच होती है।
  • कुछ लोगों को मानसिक तनाव के कारण भी यात्रा के दौरान उल्टी महसूस होती है।
  • अगर परिवार में किसी को मोशन सिकनेस होती है, तो अगली पीढ़ी को भी यह समस्या हो सकती है।

गर्भवती महिलाओं को उल्टी आने के कारण

गर्भावस्था के दौरान उल्टी आना एक सामान्य समस्या है, जो ज्यादातर पहली तिमाही में होती है। यहाँ आपके लिए गर्भवती महिलाओं को उल्टी आने के कारण दिए गए हैं –

  • गर्भावस्था के दौरान HCG और एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे मतली और उल्टी हो सकती है।
  • इस दौरान महिलाओं की सूंघने की क्षमता तेज हो जाती है, जिससे तेज गंध उल्टी का कारण बन सकती है।
  • लंबे समय तक भूखे रहने से पेट में एसिड अधिक बनता है, जिससे उल्टी की समस्या हो सकती है।
  • मानसिक तनाव और शारीरिक थकान से पाचन तंत्र प्रभावित होता है, जिससे मतली महसूस हो सकती है।
  • गर्भावस्था में पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है, जिससे गैस, एसिडिटी और उल्टी हो सकती है।

वातज, पित्तज और कफज दोष के कारण

आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में संतुलन बनाए रखने के लिए वात, पित्त और कफ दोष का सही सामंजस्य जरूरी होता है। यहाँ वातज, पित्तज और कफज दोष के कारण उल्टी की समस्या के बारे में बताया गया है –

  • अधिक ठंडी और शुष्क चीजों का सेवन, तनाव, अधिक भागदौड़ और अनियमित दिनचर्या से वात दोष के कारण उल्टी होना।
  • किसी भी व्यक्ति को तीखा, तला-भुना भोजन, क्रोध, ज्यादा धूप में रहना और देर रात तक जागने से पित्त दोष के कारण उल्टी होना।
  • इसके साथ ही कफ दोष के कारण भारी, मीठा भोजन, ज्यादा आराम, ठंडी चीजों का अत्यधिक सेवन और शारीरिक गतिविधियों की कमी से उल्टी होना।

वातज-पित्तज-कफज दोष के कारण होने वाली उल्टी के लक्षण और उपचार

यहाँ आपके लिए वातज-पित्तज-कफज दोष के कारण होने वाली उल्टी के लक्षण और इसके उपचार की जानकारी दी गई है –

1. वात दोष के कारण होने वाली उल्टी के लक्षण

  • हल्कापन और चक्कर आना।
  • सूखापन व कमजोरी महसूस होना।
  • पेट में ऐंठन और गैस बनना।
  • मितली और भोजन के प्रति अरुचि।
  • मुंह का स्वाद कड़वा या फीका होना।

2. वात दोष के कारण होने वाली उल्टी का उपचार

  • सौंफ, अदरक और तुलसी जैसे प्राकृतिक उपाय राहत दे सकते हैं।
  • गर्म पानी पीने और हल्का, सुपाच्य भोजन करने से लाभ मिलता है।
  • नियमित दिनचर्या और योग अपनाकर वात संतुलित किया जा सकता है।

3. पित्त विकार के कारण होने वाली उल्टी के लक्षण

  • पित्त अधिक बनने से भोजन सही से नहीं पचता और उल्टी में खट्टापन या पीला रंग आ सकता है।
  • पाचन तंत्र में गड़बड़ी से पेट में जलन और एसिड बढ़ जाता है, जिससे उल्टी की संभावना रहती है।
  • पेट में अधिक पित्त होने से उल्टी के बाद मुंह का स्वाद कड़वा लग सकता है।
  • शरीर में पित्त असंतुलन से चक्कर आना और सिर में भारीपन महसूस हो सकता है।

4. पित्त विकार के कारण होने वाली उल्टी का इलाज

  • गुनगुना पानी पिएं।
  • धनिया-जीरा का काढ़ा।
  • नारियल पानी पिएं।
  • हल्का भोजन करें।
  • तुलसी-अदरक का सेवन।

5. कफज विकार के कारण होने वाली उल्टी के लक्षण

  • जब शरीर में कफ बढ़ जाता है, तो पाचन तंत्र कमजोर होने लगता है, जिससे उल्टी की समस्या हो सकती है।
  • उल्टी के साथ बलगम आना, भारीपन महसूस होना और गले में चिपचिपाहट बढ़ना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
  • अक्सर सुबह-सुबह ज्यादा समस्या होती है, खासकर ठंडी चीजें खाने के बाद।
  • शरीर में ठंडक, भूख न लगना और जी मिचलाना भी कफज उल्टी के संकेत हो सकते हैं।
  • सही आहार और जीवनशैली से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

6. कफज विकार के कारण उल्टी रोकने के उपाय

  • गर्म पानी पिएं।
  • अदरक-शहद का सेवन करें।
  • हल्का और सुपाच्य भोजन करें।
  • तुलसी और लौंग चबाएं।
  • तेल-मसालेदार चीजों से बचें।

उल्टी रोकने के घरेलू उपाय

यहाँ आपके लिए उल्टी रोकने के घरेलू उपाय की जानकारी दी गई है, जो इस प्रकार है –

अदरक

इसमें जिंजरोल और शोगॉल जैसे सक्रिय घटक होते हैं जो पेट को शांत रखने में मदद कर सकते हैं और मतली के प्रबंधन में सहायक माने जाते हैं। गर्म पानी में अदरक डालकर पीना सामान्य रूप से उपयोग किया जाता है।

पुदीना

पुदीना में मेंथॉल नामक सक्रिय यौगिक पाया जाता है, जो पाचन तंत्र को आराम देने और उल्टी की भावना को कम करने में मदद कर सकता है। पुदीना चाय के रूप में इसका उपयोग प्रचलित है।

दालचीनी

दालचीनी में सिनामल्डिहाइड होता है जो गैस्ट्रिक मसल्स को शांत कर पाचन को सामान्य बनाए रखने में सहायक हो सकता है।

नींबू

नींबू में सिट्रल और लिमोनीन होते हैं जो ताजगी देने वाले घटक हैं और मतली के प्रबंधन में उपयोग किए जाते हैं। नींबू पानी या इसकी सुगंध को सूंघना राहत दे सकता है।

कैमोमाइल

इसमें एपिजेनिन और बाइज़ाबोलोल जैसे यौगिक पाए जाते हैं जो पाचन तंत्र को शांत रखने में सहायक हो सकते हैं।

लैवेंडर

लैवेंडर के तेल में लिनालूल और लिनालिल एसीटेट पाए जाते हैं, जो तनाव और चिंता को शांत करके उल्टी के भाव को कम करने में सहायक माने जाते हैं।

प्याज

प्याज में क्वेरसेटिन होता है, जो सामान्य रूप से एंटीऑक्सीडेंट गुण रखता है और घरेलू उपचारों में मतली के लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए उपयोग होता है।

चावल

चावल का पानी पाचन को सामान्य बनाए रखने में मदद कर सकता है, जिससे पेट में आराम महसूस हो सकता है।

सौंफ

सौंफ में एनेथोल होता है जो पाचन में सहायक माना जाता है और गैस्ट्रिक असुविधा को कम कर सकता है।

जीरा

जीरा में क्यूमिनाल्डिहाइड और थायमोल होते हैं जो पाचन क्रिया को सहज रखने में सहायक हो सकते हैं।

लौंग

लौंग में यूजेनॉल पाया जाता है, जो पारंपरिक रूप से उल्टी के लक्षणों को कम करने में सहायक माना जाता है।

इलायची

इलायची में सिनेओल और टरपीन जैसे सक्रिय घटक पाए जाते हैं जो पाचन में सहायक हो सकते हैं और उल्टी के लक्षणों के प्रबंधन में उपयोग किए जाते हैं।

सौंफ के समान अनीस

इसमें एनेथोल होता है जो पाचन को सहज बनाने में सहायक हो सकता है।

हींग

हींग में फेरुलिक एसिड जैसे घटक होते हैं जो पारंपरिक रूप से गैस्ट्रिक असुविधा के प्रबंधन में उपयोग किए जाते हैं।

तुलसी

तुलसी में यूजेनॉल और लिनालूल पाए जाते हैं जो पाचन तंत्र को शांत करने में सहायक माने जाते हैं।

केला

केला में पेक्टिन और पोटैशियम होता है जो पेट के सामान्य कार्य को बनाए रखने में सहायक हो सकता है और ऊर्जा प्रदान कर सकता है।

गर्भवावस्था में उल्टी रोकने के उपाय 

गर्भवावस्था में उल्टी रोकने के उपाय (Home Remedies for Vomiting in Pregnancy) इस प्रकार हैं –

  • अदरक की चाय, नींबू पानी, हल्का और पौष्टिक आहार, पर्याप्त पानी पीना और छोटे-छोटे अंतराल में भोजन करना इस समस्या को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
  • तनाव से बचें और पर्याप्त आराम करें, ताकि आपका शरीर स्वस्थ रहे और गर्भस्थ शिशु का विकास सही तरीके से हो सके।

उल्टी के दौरान आपका खान-पान 

  • हल्का, सुपाच्य और तरल आहार जैसे नारियल पानी, सूप, दही और खिचड़ी मददगार होते हैं।
  • अधिक तला-भुना और मसालेदार भोजन से बचें ताकि पेट को आराम मिल सके।

उल्टी रोकने के लिए जीवनशैली 

  • हल्का और सुपाच्य भोजन करना।
  • पर्याप्त पानी पीना।
  • तनाव से बचना।
  • नियमित व्यायाम करना।

उल्टी में परहेज 

  • उल्टी आने की स्थिति में सही परहेज के अनुसार मसालेदार, तली-भुनी चीजों से बचें और हल्का, सुपाच्य भोजन करें।
  • अदरक या नींबू पानी जैसे घरेलू उपाय राहत दे सकते हैं।
  • शरीर में पानी की कमी न होने दें।

निष्कर्ष 

उल्टी एक सामान्य समस्या है, जो खराब पाचन, संक्रमण या यात्रा के दौरान हो सकती है। इसे रोकने के लिए अदरक, नींबू और ठंडे पानी का सेवन फायदेमंद होता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

गाड़ी में उल्टी क्यों आती है?

गाड़ी में उल्टी आने का कारण मोशन सिकनेस है, जो दिमाग और कान के संतुलन में अंतर के कारण होती है।

तुरंत उल्टी रोकने के लिए क्या करें?

उल्टी रोकने के लिए ठंडा पानी पिएं, अदरक या नींबू सूंघें, धीरे-धीरे गहरी सांस लें और आराम करें।

उल्टी का कारण क्या है?

उल्टी का कारण फूड पॉइज़निंग, पेट संक्रमण, माइग्रेन, गर्भावस्था, दवाईयों का असर, तनाव या गैस्ट्रिक समस्या हो सकता है।

उल्टी कब गंभीर होती है?

अगर उल्टी में खून आए, बार-बार हो, पानी की कमी लगे या तेज सिरदर्द और चक्कर आए, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।

पित्त की उल्टी कब होती है?

पित्त की उल्टी अधिक मसालेदार भोजन, खाली पेट रहने, पाचन समस्या या पित्त असंतुलन के कारण हो सकती है।

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